राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण ने Zee Entertainment Enterprises Limited (ZEEL) के खिलाफ दिवाला कार्रवाई के लिए इंडसइंड बैंक की याचिका को स्वीकार कर लिया है।
न्यायिक सदस्य एच वी सुब्बा राव और तकनीकी सदस्य मधु सिन्हा की खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले में संजीव कुमार जालान को समाधान पेशेवर (resolution professional) नियुक्त किया।
यह मामला Zee Group की कंपनी Siti Networks द्वारा किए गए 89 करोड़ रुपये के चूक से संबंधित है। यह राशि इंडसइंड बैंक को अदा की जानी थी। इसके लिए जील एक गारंटर था।
प्राइवेट सेक्टर के बैंक ने NCLT में सिटी नेटवर्क्स के खिलाफ एक अलग दिवाला याचिका भी दायर की है। NCLT ने मोहित मेहरा को इस मामले में समाधान पेशेवर नियुक्त किया है।
NCLT ने याचिका को ऐसे समय में स्वीकार किया, जब जी एंटरटेनमेंट, सोनी के साथ विलय के अंतिम चरण में है।
विशेषज्ञों के अनुसार इस फैसले के बाद सौदे में बाधाएं पैदा होना तय है। कुछ लोगों का मानना है कि कंपनी निदेशक मंडल की शक्तियां दिवाला प्रक्रिया शुरू होने के साथ खत्म हो जाती है।
मौजूदा दिवाला कानूनों के अनुसार जी एंटरटेनमेंट निजी क्षेत्र के ऋणदाता के साथ बकाया राशि का निपटान कर सकती है, जिससे उसे विलय सौदे में परेशानी से बचने में मदद मिलेगी।
विलय को पहले ही कई वैधानिक मंजूरी मिल चुकी हैं, लेकिन कुछ ऋणदाता आगे बढ़ने से पहले अपनी बकाया राशि चुकाने पर जोर दे रहे हैं।