दुनिया भर की इस्पात कंपनियां जब कच्चे माल खासकर कोयले की कमी से जूझ रही हैं, उस समय टाटा स्टील की किस्मत चमचमा रही है।
कंपनी को ऑस्ट्रेलिया की रिवर्सडेल माइनिंग के साथ साझे उपक्रम के तहत मिली बंगा खदान में उम्मीद से भी ज्यादा कोयला होने की बात पता चली है। कंपनी की उम्मीद से भी 58 फीसदी ज्यादा कोयला उस खदान क्षेत्र मंन मौजूद है।
टाटा और रिवर्सडेल को मोजांबिक के टेटे में तकरीबन 4,560 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाला कोयला खदान क्षेत्र मिला है। पिछले साल नवंबर में दोनों कंपनियों ने इसमें लगभग 1,200 करोड़ टन कोयला जमा होने की बात कही थी। लेकिनर् कई महीनों की खोज और खुदाई के बाद हाल ही में उन्हें पता चला कि इसमें कम से कम 1,900 टन कोयला मौजूद है।
रिवर्सडेल के मुताबिक बंगा खदानों से मिलने वाले कोयले में हार्ड कोकिंग कोल की मात्रा सबसे अधिक है।?इसके अलावा संयंत्रों में जलाने के काम आने वाला कोयला भी वहां अच्छी खासी तादाद में मिलेगा।
दोनों कंपनियों के बीच जो समझौता है, उसके मुताबिक टाटा स्टील को रिवर्सडेल की मोजांबिक स्थित दो खदानों में 35 फीसदी हिस्सेदारी हासिल है।बंगा भी इन्हीं में शामिल है। उसके अलावा निकलने वाले कुल कोकिंग कोल का 40 फीसदी भी टाटा स्टील को ही मिलने की बात भी समझौते में कही गई है।टाटा स्टील बंगा खदानों से कोकिंग कोल की आपूर्र्ति ब्रिटेन और यूरोप में अपने कोरस संयंत्रों के लिए करेगी।
इसके अलावा भारत में आने वाले वर्षों में कंपनी की उत्पादन क्षमता में जो इजाफा किया जा रहा है, उसके लिए भी कोकिंग कोल यहां से मंगाया जा सकता है।भारत में टाटा स्टील की मौजूदा उत्पादन क्षमता लगभग 50 लाख टन सालाना है, जो इसी साल जून तक बढ़कर 68 लाख टन सालाना हो जाने की उम्मीद है।टाटा स्टील समूह की क्षमता 280 लाख टन सालाना है।
कंपनी की देशी परियोजनाओं को जितने कोयले की जरूरत होती है, उसका 70 फीसदी कंपनी को मिली खदानों से पूरा हो जाता है।भारत में झारखंड के बोकाररो और झरिया में कंपनी के पास दो कोयला क्षेत्र हैं।इस्पात कंपनियां वैसे भी कोयले से परेशान हैं। पिछले साल इसकी कीमत महज 3,800 रुपये प्रति टन थी, लेकिन अब यह बढ़कर तीन गुनी हो गई है।इसकी वजह से इस्पात मिलों को कोयले के संकट से जूझना पड़ रहा है।
टाटा स्टील ने कोकिंग कोयले के अलावा भी कच्चे माल की आपूर्ति का पूरा ध्यान रखा है।उसने लौह अयस्क की आपूर्ति के लिए आइवरी कोस्ट में और चूना पत्थर के लिए ओमान में साझे उपक्रम लगाए हैं। इसके अलावा घरेलू बाजार में भी टाटा स्टील का सरकारी कंपनी गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ साझा उपक्रम है। इसमें दोनों कंपनियों की समान यानी आधी आधी हिस्सेदारी है।