2007 में मोटरसाइकिल उद्योग को विकास दर में 9 प्रतिशत गिरावट का सामना करना पड़ा।
यह गिरावट घरेलू बिक्री के मामले में दर्ज की गई, जबकि उद्योग जगत के निर्यात के आंकड़ों में अप्रैल 2007-फरवरी 2008 के 11 महीनों में तेजी का दौर बना हुआ है।
भारतीय वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन, सियाम की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बजाज ऑटो देश में निर्यात के मामले में अव्वल नंबर पर है।
कंपनी ने पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष के 11 महीनों में 62.34 प्रतिशत की छलांग के साथ 4,40,909 इकाइयों का निर्यात किया है।
इसी अवधि के लिए टीवीएस मोटर कंपनी ने निर्यात में 1 लाख के आंकड़े को पार कर 39 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज की है।
भारत में मोटरसाइकिल उद्योग जगत के 50 प्रतिशत पर कब्जा बनाने वाली कंपनी हीरो होंडा की बिक्री में 12 प्रतिशत की गिरावट नजर आई है और इन 11 महीनों में कंपनी की 76,013 इकाइयों का ही निर्यात हो पाया है।
होंडा मोटरसाइकिल ऐंड स्कूटर इंडिया ने इन महीनों में 22,788 इकाइयों के निर्यात के साथ इस साल 490.82 प्रतिशत वृध्दि की है, क्योंकि पिछले साल कंपनी सिर्फ 3,857 इकाइयों का ही निर्यात कर पाई थी।
वाहन कर्ज के चलते देश के घरेलू बाजार में बिक्री कम हो रही है और दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियां अपना मुनाफा और मात्रा को बढ़ाने के लिए निर्यात बाजार को लक्ष्य बना रही हैं।
टीवीएस मोटर कंपनी के प्रबंध निदेशक, वेणु श्रीनिवासन का कहना है, ‘देश में कर्ज बाजार की मंदी हमें श्रीलंका, लैटिन अमेरिका के कोलंबिया और अफ्रीका एवं एशिया के बाजारों की ओर रुख करने को मजबूर कर रही है।’
उद्योग जगत के प्रेक्षकों का कहना है कि निर्यात बाजार कंपनियों को जो मुनाफा मुहैया करा रहा है, वह यहां घरेलू बाजारों के मुकाबले कुछ भी नहीं है।
उद्योग के सूत्रों का कहना है, ‘फिलहाल दोपहिया वाहनों का निर्यात अधिकतर नुकसान पर हो रहा है।’
हीरो होंडा मोटर्स चुनिंदा वैश्विक बाजारों को छोड़ कर पूरी तरह से भारतीय बाजार पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहती है।
उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है, ‘होंडा मोटर्स के साथ मिलकर जेवी हीरो होंडा को वैश्विक बाजार में, जहां होंडा मोटर्स मौजूद हैं, आने से रोक रही है।’ होंडा मोटर्स दुनिया के हर देश में अपने दोपहिया वाहन बेच रही है।
2007-08 में मोटरसाइकिल की निर्यात और घरेलू बिक्री का अनुपात 75 सीसी से 125 सीसी श्रेणी की मोटरसाइकिलों में 1:7 है।
इस अनुपात के चलते निर्यात ऑर्डरों में 75 सीसी से 125 सीसी श्रेणी की मोटरसाइकिलों के लिए 4 लाख, डीलक्स और एग्जीक्यूटिव श्रेणी के लिए 2.7 लाख और प्रीमियम श्रेणी के लिए 2000 का योगदान मिला है।
अप्रैल 2007 से भारतीय रुपये मेंडॉलर की तुलना में 9.8 प्रतिशत मजूबती बनी हुई है। इसके साथ ही दोपहिया वाहन कंपनियों का निर्यात में मुनाफा कम हो रहा है।
हीरो होंडा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष- बिक्री और मार्केटिंग, अनिल दुआ का कहना है, ‘डॉलर की तुलना में रुपये में आई कमजोरी से हमारी प्रतियोगी लागत प्रभावित होती है।
जिन देशों में डॉलर में व्यापार होता है, वहां निर्यात के मामले में हमारे मुनाफे पर इसका असर पड़ता है।’
उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि अब रुपये में कमजोरी घरेलू और निर्यात बाजार दोनों में ही मुनाफे को बराबर कर सकती है।
घरेलू बाजार में दोपहिया कंपनियों के लिए ईबीटीडीए मुनाफे को 10 प्रतिशत पर नियंत्रित किया गया है।