साइरस मिस्त्री की कंपनियों ने सर्वोच्च न्यायालय को दिए अपने हलफनामे में कहा है कि टाटा संस द्वारा पब्लिक कंपनी के तौर पर परिचालन किए जाने के बारे में न्यायालय से कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया था और इसलिए टाटा संस के पूरे बोर्ड की निंदा की जानी चाहिए।
मिस्त्री परिवार की निवेश कंपनियों ने सर्वोच्च न्यायालय को दिए अपने हलफनामे में कहा है, ‘कानून के तहत कोई वादी (जिसने अदालत का दरवाजा खटखटाया हो) अपने द्वारा निष्पादित उन सभी दस्तावेजों को पेश करने के लिए बाध्य है जो मुकदमेबाजी के लिए जरूरी हों। यदि वह फायदा उठाने के प्रयास में महत्वपूर्ण दस्तावेज को छिपाता है, तो वह अदालत के साथ साथ विपक्षी पार्टी को धोखा देने का अपराधी होगा। इन दावों के गलत होने पर, अदालत को न सिर्फ प्राइवेट कंपनी में तब्दील होने की घोषणा को अवैध करार देना चाहिए बल्कि टाटा संस के बोर्ड की भी उसके इस व्यवहार के लिए निंदा की जानी चाहिए।’
सर्वोच्च न्यायालय मिस्त्री परिवार और टाटा समूह दोनों द्वारा सौंपी गईं याचिकाओं पर अगले महीने सुनवाई करेगा। टाटा संस और मिस्त्री के बीच विवाद अक्टूबर 2016 में टाटा संस बोर्ड द्वारा पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद पैदा हुआ था। मिस्त्री को टाटा समूह कंपनियों के कमजोर वित्तीय प्रदर्शन का हवाला देकर टाटा संस के चेयरमैन की जिम्मेदारी से उनका पांच साल का कार्यकाल मार्च 2017 में पूरा होने से महज कुछ महीने पहले हटा दिया गया था।
मिस्त्री इस कदम को अवैध ठहराने के लिए अदालत चले गए। लेकिन कुछ ही महीनों में, अगस्त 2017 में टाटा संस के शेयरधारकों ने कंपनी को प्राइवेट कंपनी में तब्दील किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिससे शेयरधारकों को अपने शेयर बेचना मुश्किल हो गया था।
दिसंबर 2019 में, एनसीएलएटी ने टाटा-मिस्त्री विवाद पर अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि जिस तरह से टाटा संस को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में तब्दील किया गया, वह अवैध था। सर्वोच्च न्यायालय में किए गए अपने अनुरोध में टाटा समूह ने तर्क दिया कि उन्होंने हमेशा से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मुख्य विशेषताओं का पालन किया।
टाटा संस में 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली मिस्त्री कंपनियों ने टाटा संस के बोड में प्रतिनिधित्व की मांग की और टाटा ट्रस्ट्स के वीटो अधिकारों को समाप्त किए जाने की मांग की। टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्स की 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
