सॉफ्टवेयर मैदान की सबसे बड़ी खिलाड़ी माइक्रोसॉफ्ट के लिए उसका अपना साँफटवेयर ऑफिस ओपन एक्सएमएल ओओएक्सएमएल गले की हड्डी बन गया है।
भारत में खास तौर पर इस सॉफ्टवेयर की दाल नहीं गल रही है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने एक बार फिर इस सॉफ्टवेयर को मान्यता देने से इनकार कर दिया।माइक्रोसॉफ्ट ने जब यह सॉफ्टवेयर उतारा था, तो उसे इस कदर रुसवाई की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। लेकिन भारत में उसे मुंह की खानी पड़ रही है। बीआईएस ने पिछले साल सितंबर में ही इस सॉफ्टवेयर से मुंह फेर लिया था।
पिछले हफ्ते जेनेवा में जब इस मसले पर बैठक हुई, तो भारतीय अधिकारी अपने पुराने रुख पर अड़े रहे। 13 भारतीय अधिकारियों ने सॉफ्टटवेयर को मान्यता नहीं दिए जाने के फैसले को सही ठहराया। इनमें सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, सीडैक, आईआईटी मुंबई, आईआईएम अहमदाबाद, रेड हैट, आईबीएम और सन माइक्रोसिस्टम्स के आला अधिकारी शामिल हैं।
हताश माइक्रोसॉफ्ट अब अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) की ओर देख रही है। आईएसओ सभी देशों से इस मसले पर मत इकट्ठा करेगा और उसके आधार पर इसी साल 31 मार्च को अपना फैसला सुनाएगा।भारत से मिली नकारात्मक प्रतिक्रिया माइक्रोसॉफ्ट को अंदर तक साल रही है। उसके एक प्रवक्ता ने कहा, ‘बीआईएस के फैसले से वाकई हमें हताशा हुई है, लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी आईटी जगत के दूसरे दिग्गजों जैसे नैसकॉम, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज टीसीएस, विप्रो और इन्फोसिस से मिले समर्थन ने हमें खुश कर दिया है।
इन सभी ने ओपन एक्सएमएल को मान्यता दिए जाने की वकालत की है। इसके अलावा भारत सरकार और उद्योग संगठन भी इस मसले पर पक्षपात के बिना अपना मत रखते हैं। इसलिए हम सरकार से लगातार बातचीत करेंगे, ताकि हम अपने सॉफ्टवेयर को उसके माकूल बना सकें। हम भारतीय आईटी जगत का भला चाहते हैं।’
दरअसल ओओएक्सएमएल मामले में माइक्रोसॉफ्ट का बहुत कुछ दांव पर लगा है।अगर आईएसओ इस सॉफ्टवेयर को मान्यता देने से इनकार कर देता है, तो दुनिया भर में कंपनी को सरकारी कारोबार में तगड़ा घाटा सहना पड़ेगा। भारत समेत तमाम देश आईएसओ जैसे संगठनों की ओर से मान्य सॉफ्टवेयरों का ही इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर सरकारें अपनी सूचना को डिजिटल फॉर्मेट में रखने के लिए किसी खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से बचती हैं।
ऐसी हालत में उन्हें किसी विशेष सॉफ्टवेयर प्रदाता पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत में भी दिल्ली, केरल और कई पूर्वोत्तर राज्य स्थाानीय स्तर पर चलने वाले सॉफ्टवेयरों को ही पसंद करते हैं क्योंकि वे मुफ्त में उपलब्ध होते हैं। माइक्रोसॉफ्ट इन सॉफ्टवेयरों की जगह ओओएक्सएमएल के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहती है, इसलिए वह इस मसले पर तमाम पक्षों की ‘न’ को ‘हां’ में तब्दील करने की कोशिश कर रही है।
तमाम देशों में आम तौर पर ओपन डॉक्युमेंट फॉर्मेट ओडीएफ का इस्तेमाल होता है। उसे पसंद करने वाले ओओएक्सएमएल की मुखालफत करते हुए कहते हैं कि कई तरह के मानक व्यावहारिक नहीं होंगे। उनका यह भी कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट ने गैर सरकारी संगठनों से पत्र लिखवाकर इस सॉफ्टवेयर के पक्ष में सरकारों पर दबाव डलवाया है। इन संगठनों में से कई को तो खुद माइक्रोसॉफ्ट से वित्तीय सहायता के नाम पर मोटी रकम मिलती है।
माइक्रोसॉफ्ट भी इस आरोप से सीधे इनकार नहीं करती। कंपनी के एक प्रवक्ता ने स्वीकार किया कि इस तरह के पत्र गैर सरकारी संगठनों को भेजे गए थे। लेकिन उसने यह भी कहा कि पूरे मामले का गलत मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। कंपनी के मुताबिक ये संगठन भी समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनका नजरिया भी बीआईएस के लिए अहम है।
ओडीएफ के पैरोकार यह भी कहते हैं कि मानक रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हैं। इसी वजह से उन्हें केवल तकनीकी नजरिये से नहीं तोला जाना चाहिए।वैसे माइक्रोसॉफ्ट इस बात से सहमत नहीं है। उसके मुतबिक ओओएक्सएमएल बेहद आधुनिक सॉफ्टवेयर है। इसमें तमाम मानक फॉर्मेट का इस्तेमाल करने वालों को काम करने में सुविधा होगी। इसीलिए कंपनी इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने की मुहिम छेड़ रही है। हां, फैसला जरूर आईएसओ के ही हाथ में है।
भारत को मनाने में नाकाम रही माइक्रोसॉफ्ट
13 कंपनियों, संस्थानों और संगठनों ने मतदान के दौरान ओओएक्सएमएल को मान्यता नहीं देने की वकालत की
माइक्रोसॉफ्ट समेत 5 भारतीय कंपनियां हैं मान्यता के लिए पैरोकार
हार्डवेयर कंपनियों के संगठन ने मतदान से कन्नी काटी
3 कंपनियां मतदान में नहीं पहुंचीं
अब आईएसओ पर है दारोमदार