चीन की कंपनी एसएआईसी मोटर के स्वामित्व वाली एमजी मोटर इंडिया की योजना अगले 2 से 4 वर्षों में भारतीय निवेशकों को बहुलांश हिस्सेदारी बेचकर करीब 5,000 करोड़ रुपये जुटाने की है। कंपनी के सीईओ एमिरेट्स राजीव छाबा ने कहा, कंपनी इस रकम का इस्तेमाल हलोल (गुजरात) में दूसरा संयंत्र बनाने में करेगी ताकि साल 2028 तक सालाना उत्पादन क्षमता करीब 3 लाख वाहनों की हो जाए। दूसरे संयंत्र की सालाना क्षमता 1.80 लाख वाहन रहने का अनुमान है, वहीं हलोल में मौजूदा संयंत्र की क्षमता 1.20 लाख वाहन सालाना है।
साल 2022 तक भारत में करीब 4,000 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी कंपनी पिछले कुछ वर्षों से चीन की अपनी मूल कंपनी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने की कोशिश कर रही है। हालांकि वह इस संबंध में भारत सरकार से जरूरी मंजूरी हासिल नहीं कर पाई है। साल 2020 में सीमा पर खूनी संघर्ष के बाद से भारत और चीन के संबंध खराब हैं।
छाबा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, हम अपने परिचालन का भारतीयकरण करने जा रहे हैं। हमारी योजना शेयरधारिता के विनिवेश की है और अगले 2 से 4 वर्षों में बहुलांश हिस्सेदारी भारतीय निवेशकों के पास होगी।
उन्होंने कहा, हमारी बातचीत कई साझेदारों से हो रही है और ये सभी भारतीय हैं। हम भारतीय वित्तीय संस्थानों, भारतीय निजी कंपनियों, कुछ एचएनआई आदि से बात कर रहे हैं। हम अपने डीलर पार्टनर को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं और इसे एक तरह की हिस्सेदारी बिक्री बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। कंपनी अपने शेयर कर्मचारियों को भी देने की योजना बना रही है।
छाबा ने कहा, कंपनी को निवेशक की पहचान का पहला कदम इस वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है। शेयर को एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराने की भी योजना है, लेकिन यह 2028 में होगा। एमजी मोटर इंडिया की देसी बिक्री 2022-23 में 21 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 48,886 वाहन रही। यह जानकारी सायम के आंकड़ों से मिली। कंपनी ने 2023-24 में करीब एक लाख वाहन बेचने की योजना बनाई है।
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छाबा ने कहा, दूसरे संयंत्र के जरिए हम 4-5 नई कार पेश करेंगे और उनमें से ज्यादातर इलेक्ट्रिक वाहन होंगे। ऐसे में 3 लाख सालाना क्षमता का करीब 65-75 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन के लिए होगा। अभी कंपनी दो ईवी जेड एस ईवी व कॉमेट की बिक्री भारत में कर रही है। वित्त वर्ष 23 में कुल बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी महज 11.6 फीसदी रही।
छाबा ने कहा, परिचालन के भारतीयकरण का मतलब न सिर्फ शेयरधारिता है बल्कि निदेशक मंडल, प्रबंधन, आपूर्ति शृंखला और तकनीक भी है। हम अगले साल से अपने हलोल संयंत्र में खुद ही बैटरी असेंबल करने जा रहे हैं।
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उसके बाद हम सेल के विनिर्माण व ईवी के कलपुर्जे का उत्पादन संयुक्त उद्यम या थर्ड पार्टी के जरिए भारत में करने की संभावना तलाशेंगे। एमजी मोटर इंडिया का मानना है कि अगले 3-4 सालों में हाइड्रोजन फ्यूल सेल भी व्यवहारिक विकल्प बन जाएगा।
अभी लागत के वजह से यह व्यवहारिक विकल्प शायद नहीं है। छाबा ने कहा, क्या हम संयुक्त उद्यम के जरिये भारत में हाइड्रोजन फ्यूल सेल का स्थानीयकरण कर सकते हैं और फिर इसकी आपूर्ति ओईएम को कर सकते हैं? अगर हमारे पास तकनीक है तो क्या हम इसे भारत ला सकते हैं? इस पर हम गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
एमजी मोटर इंडिया के हलोल संयंत्र में 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। साल 2028 तक कंपनी की योजना हलोल के दोनों संयंत्रों में अप्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर 20,000 लोगों को रोजगार देने की है।