अब जबकि फुटवियर बाजार इस वित्त वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में एक अंक की कमजोर राजस्व वृद्धि दर्ज करने की ओर है तो बाजार पूंजीकरण के हिसाब से इस क्षेत्र की सबसे बड़ी सूचीबद्ध कंपनी मेट्रो ब्रांड्स राजस्व और लाभ दोनों के मामले में प्रतिस्पर्धियों से आगे रह सकती है। कंपनी के लिए यह दो अंक सालाना राजस्व वृद्धि वाली लगातार तीसरी तिमाही होगी। हालांकि पिछले छह महीनों में इस शेयर में करीब 8.8 प्रतिशत की कमजोरी आई है, लेकिन वह सूचीबद्ध समकक्ष कंपनियों की तुलना में बेहतर रहा है। उसके प्रतिस्पर्धी शेयरों में इस दौरान औसतन 20 प्रतिशत की गिरावट आई है।
वित्त वर्ष 2025 की जनवरी-मार्च तिमाही में 10 फीसदी वृद्धि के बाद ब्रोकरों को वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में मेट्रो की वृद्धि (प्रीमियम और कैजुअल फुटवियर सेगमेंट में मजबूत मांग की मदद से) 10-15 फीसदी के दायरे में रहने की संभावना है। कंपनी को काफी दह तक नए स्टोरों से मदद मिलने की उम्मीद है।
कोटक रिसर्च का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में कुल 20 स्टोर खोल गए। इनमें मेट्रो और मोची की हिस्सेदारी 8-8 और बाकी क्रॉक्स इंडिया तथा वॉकवे के स्टोर हैं। कुल स्टोरों की संख्या में 8.3 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। प्रति स्टोर औसत राजस्व में 2 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, हालांकि जल्दी मॉनसून और ईद के कारण ग्राहकों की संख्या में कमी आ सकती है।
इसके विपरीत, रिलैक्सो फुटवियर्स और बाटा इंडिया जैसे मूल्य-केंद्रित ब्रांडों ने अनुकूल आधार के बावजूद वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में राजस्व में 1-7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। वैल्यू सेगमेंट में मांग अभी भी कम होने के कारण इन रुझानों के वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में जारी रहने की उम्मीद है। बाटा में केवल 2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
मेट्रो के मार्जिन में भी सुधार की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 3.5 फीसदी वृद्धि के बाद, परिचलन दक्षता की मदद से वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के मार्जिन में सालाना आधार पर 90 आधार और तिमाही आधार पर 151 आधार अंक का इजाफा हो सकता है।
कैंपस शूज ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में सपाट मार्जिन की जानकारी दी जबकि बाटा और रिलैक्सो ने ऊंची लागत और कमजोर परिचालन दक्षता के कारण इसमें गिरावट देखी। तीनों के तिमाही आधार पर पहली तिमाही में कम मार्जिन दर्ज करने का अनुमान है। कंपनी अपनी मौजूदगी को बढ़ाने के लिए अपने स्वयं के ब्रांडों – मेट्रो, मोची और वॉकवे के अलावा तीसरे पक्ष की भागीदारी पर निर्भर है। उसका फिला और फुट लॉकर के साथ गठजोड़ है। अब उसने हाल में ब्रिटिश ब्रांड सीऐंडजे क्लार्क इंटरनैशनल के साथ दीर्घावधि समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सौदा मेट्रो को भारत और पड़ोसी देशों में ऑफलाइन और डिजिटल चैनलों पर क्लार्क्स के लिए विशेष वितरण अधिकार मुहैया कराता है।
जेएम फाइनैंशियल में विश्लेषक गौरव जोगानी इस कदम को मेट्रो के प्रीमियम लाइनअप के विस्तार के तौर पर देख रहे हैं। कंपनी पहले से ही 1,500 रुपये से अधिक कीमत वाले फुटवियर से अपना 88 प्रतिशत राजस्व कमाती है। जेएम ने इस शेयर को 1,400 रुपये के कीमत लक्ष्य के साथ ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।
एमके रिसर्च का कहना है कि मेट्रो अपने पोर्टफोलियो में अंतर कम कर रही है और वैश्विक ब्रांडों के लिए एक मंच के रूप में अपनी पहचान मजबूत बना रही है। एमके रिसर्च के विश्लेषकों देवांशु बंसल और मोहित डोडेजा का कहना है कि क्लार्क्स के साथ भागीदारी से प्रीमियम कैजुअल कैटेगरी में कंपनी की स्थिति मजबूत हुई है। उनका कहना है कि मेट्रो ने पिछले दशक के दौरान 15 फीसदी की सालाना राजस्व वृद्धि दर्ज की। आने वाले वर्षों में भी वह इसी रफ्तार से आगे बढ़ सकती है। कंपनी का 21-22 फीसदी का परिचालन मार्जिन और 60 फीसदी परिचालन लाभ को नकदी प्रवाह में तब्दील करने की क्षमता से खुद के बूते बढ़ोतरी और शेयरधारकों को भुगतान की संभावना पैदा करती है। एमके ने भी इस शेयर के लिए 1,400 रुपये के कीमत लक्ष्य के साथ ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।