उपभोक्ता उपकरण बनाने वाली शीर्ष कंपनियां एलजी, दाइकिन और माइडिया (LG, Daikin और Midea) इस महीने के अंत से एसी कंप्रेशर की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने वाली हैं। सरकार के आंतरिक अनुमान के मुताबिक इससे वित्त वर्ष 2027-28 तक आयात पर निर्भरता करीब 15-16 प्रतिशत कम होने की संभावना है।
इन तीन कंपनियों को व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी) की श्रेणी में सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत लाभार्थी के रूप में चुना गया था।
एयर कंडीशनर (AC) में कंप्रेशर मुख्य घटक होता है और कुल मैन्युफैक्चरिंग लागत में इसकी लागत करीब 30 फीसदी आती है। भारत इसका शुद्ध आयातक है। इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि यहां कंप्रेसर बनाने वाली दो प्रमुख कंपनियां चीन की शांघाई हाइली ग्रुप, हाइली इंडिया और अमेरिका की टेकुमसेह की सहायक टेकुमसेह इंडिया कंप्रेसर बनाती हैं।
2022 में भारत में आवासीय एसी यूनिट्स की बिक्री करीब 85 लाख यूनिट रहने का अनुमान है। 2028 तक मांग बढ़कर 1.5 करोड़ यूनिट तक पहुंच सकती है, जिसके लिए कंप्रेसरों की जरूरत होगी।
इन 3 कंपनियों की वित्त वर्ष 28 के दौरान कुल क्षमता 124 लाख यूनिट हो जाएगी। एक विश्लेषण के मुताबिक ऐसी स्थिति में भारत की आयात पर निर्भरता 84-85 प्रतिशत से घटकर 16 प्रतिशत रह जाएगी। दाइकिन, एलजी और माइडिया ने वित्त वर्ष 24 से वित्त वर्ष 28 तक क्रमशः 190 लाख, 95 लाख और 99 लाख यूनिट कंप्रेसर बनाने की प्रतिबद्धता जताई है।
घरेलू बाजार व्यापक दौर पर आयात पर निर्भर है। मांग पूरी करने के लिए 85 प्रतिशत कंप्रेसर का आयात होता है। इसमें से दो तिहाई माल चीन से आता है। उसके बाद थाईलैंड और दक्षिण कोरिया से क्रमशः 15 प्रतिशत और 8 प्रतिशत आयात होता है।
उपरोक्त उल्लिखित व्यक्तियों में से एक ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पीएलआई के तहत विनिर्माता अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं।