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भारतीय कंपनियों में M&A गतिविधियां तेज, 32.9 अरब डॉलर के सौदे हुए

सहायक इकाइयों से बढ़ रही कीमत

Last Updated- October 11, 2023 | 10:31 PM IST
vedanta share price

भारतीय कंपनियों के बोर्डरूम में विलय एवं विभाजन के जरिये संपत्तियां तैयार करने या कीमत बढ़ाने जैसी बातें जोर पकड़ रही हैं। यही कारण है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान ऐसे सौदों में तेजी से वृद्धि हुई है। तीसरी तिमाही के दौरान हुए सौदों का कुल मूल्य 32.9 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के बाद सौदों का सबसे अधिक तिमाही आंकड़ा है।

उस तिमाही में ही एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के बीच विलय की घोषणा की गई थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 18.4 अरब डॉलर की अपनी वित्तीय कंपनी जियो फाइनैंशियल सर्विसेज को खुद से अलग किया, जो इस साल किसी भारतीय कंपनी से जुड़ा सबसे बड़ा सौदा है। सितंबर तिमाही में सौदों के कुल मूल्य में आईडीएफसी लिमिटेड एवं आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के विलय तथा जियो फाइनैंशियल सर्विसेज के अलगाव का 60 फीसदी से अधिक योगदान रहा।

आंकड़े उपलब्ध कराने वाली वैश्विक कंपनी रीफिनिटिव के अनुसार इस साल पांच सबसे बड़े सौदों की घोषणा जुलाई के बाद हुई। कारोबार को पुनर्गठित करने वाली कंपनियों की सूची में वेदांत लिमिटेड हाल में शामिल हुई है। कंपनी ने सितंबर में कहा कि वह अपने 5 प्रमुख कारोबार अलग करेगी और उन्हें सूचीबद्ध कराएगी।

नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के प्रमुख अभिलाष पगारिया ने कहा, ‘भारतीय समूह अपने विस्तार के साथ-साथ विभिन्न कारोबार में उतरते हैं। उनकी कुछ इकाइयां अब बड़ी हो गई हैं। इसलिए उन्हें अलग करना कंपनी और शेयरधारक दोनों के लिए फायदेमंद है।

स्वतंत्र कंपनी के तौर पर सूचीबद्ध कराए जाने से इन इकाइयों के वास्तविक मूल्य का पता चलेगा। बाजार में तेजी के बीच मौजूदा अवसर का लाभ उठाने से इन इकाइयों के लिए ज्यादा से ज्यादा मूल्यांकन सुनिश्चित होगा। इसलिए यह वृद्धि को रफ्तार देने के लिए अहम कदम हो सकता है।’

भारतीय कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार के सौदों से शेयरधारकों की संपत्ति बढ़ती है और बेहतर तालमेल का फायदा भी मिलता है। आईटीसी लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य वित्तीय अधिकारी सुप्रतिम दत्ता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में समूह का होटल कारोबार परिपक्व और बड़ा हो चुका है, जिससे वह अपनी राह पर चलने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा, ‘कारोबार अलग होने से नई कंपनी जरूरी पूंजी के साथ काम करेगी और आगे बढ़ने के लिए रकम का इंतजाम भी वह खुद ही कर लेगी। वह उपयुक्त निवेशकों एवं रणनीतिक साझेदारों को भी आकर्षित कर सकेगी। इसका उद्देश्य आईटीसी की पूंजी आवंटन रणनीति को आगे बढ़ाते हुए शेयरधारकों को अधिक कीमत दिलाना भी है।’

आईटीसी समूह ने अपना होटल कारोबार मजबूत करने के लिए 2004 में आईटीसी होटल्स का आईटीसी लिमिटेड में विलय कर दिया था।

आईटीसी के अधिकारियों ने कहा कि कारोबार को अलग करने की प्रक्रिया करीब 15 महीने में पूरी हो जाएगी। इसी साल अगस्त में इसकी घोषणा की गई थी। टाटा स्टील अपनी सात कंपनियों का विलय खुद में कर रही है। उसने कहा कि इस विलय से समूची इस्पात मूल्य श्रृंखला एक बन जाएगी और बाजार में एक ही कंपनी नजर आएगी। इससे ग्राहकों को एक साथ कई मूल्यवर्द्धित उत्पाद मुहैया कराए जा सकेंगे।

टाटा स्टील को उम्मीद है कि उसे एक जैसा कारोबार होने और तालमेल होने का फायदा मिलेगा। उसे लगता है कि खरीद, आपूर्ति श्रृंखला, मार्केटिंग और बिक्री जैसे कामों को एक साथ लाने से वह सब कुछ कम लागत में बड़े पैमाने पर कर सकेगी। कंपनी के बोर्ड ने सितंबर 2022 में ही कारोबार को एकीकृत करने की योजना मंजूर कर दी थी।

वेदांत लिमिटेड की कारोबार को अलग करने की घोषणा इस साल सबसे चर्चित रही। कंपनी अपने कारोबार को छह अलग और सूचीबद्ध कंपनियों में बांटने की योजना बना रही है। विश्लेषकों ने कहा कि प्रवर्तक कंपनी वेदांत रिसोर्सेज लिमिटेड पर भारी कर्ज होने के कारण कारोबार का पुनर्गठन जरूरी था।

वेदांत रिसोर्सेज को पिछले दो वर्षों में अपनी भारतीय सहायक कंपनी से काफी लाभांश मिला है और उसी से वह कर्ज चुका रही है। वेदांत के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है कि समूह की भारतीय इकाई अलग होने से कमाई बढ़ेगी और हरेक क्षेत्र में वृद्धि को रफ्तार मिलेगी। मगर विश्लेषक इस बात से सहमत नहीं हैं कि पुनर्गठन से वेदांत की ऋण समस्या का समाधान हो जाएगा।

क्रेडिटसाइट्स के विश्लेषकों ने कहा कि वेदांत की सभी प्रस्तावित इकाइयों पर कर्ज का कुल बोझ पहले जितना ही रहेगा। उन्होंने कहा, ‘हमें चिंता है कि वेदांत रिसोर्सेज की ऋण समस्या का समाधान अब भी नहीं हुआ है। ऐसे में ऋण अदायगी एवं देनदारी की स्थिति उसके लिए गंभीर बनी रहेगी।’

First Published - October 11, 2023 | 10:31 PM IST

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