महाराष्ट्र राज्य बिजली वितरण कंपनी (एमएसईडीसीएल) को राज्य सरकार की ओर से टाटा पावर के मुद्रा संयंत्र से मिलने वाली बिजली के दाम में बदलाव करने के लिए मंजूरी मिल गई है। यह टाटा पावर के लिए सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने यह जानकारी दी है।
महाराष्ट्र उन 5 राज्यों में से एक है, जो गुजरात स्थित टाटा पावर के मुंद्रा अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट (यूएमपीपी) से बिजली खरीदता है। कंपनी मांग कर रही थी कि आयातित कोयले के दाम ज्यादा होने की वजह से होने वाले घाटे की भरपाई के लिए बिजली के दाम में बढ़ोतरी की जाए।
मार्च में टाटा पावर और मुंद्रा इकाई से बिजली खरीदने वाले राज्यों ने बैठक की थी और शुल्क को लेकर स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति बनी थी। इस मामले से जुड़े व्यक्ति के मुताबिक बैठक के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इस सप्ताह एमएसईडीसीएल को बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर नए सिरे से काम करने की अनुमति देने का फैसला किया है।
इस मसले पर एमएसईडीसीएल के संबंधित अधिकारियों से प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। टाटा पावर के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम सरकार की ओर से इसके बारे में औपचारिक रूप से जानकारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।’
अक्टूबर 2018 में उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) को निर्देश दिया था कि टाटा पावर, एस्सार पावर और अडाणी पावर के गुजरात स्थित संयंत्रों से बिजली खरीदने के लिए राज्यों की ओर से किए गए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) की समीक्षा की जाए। कोयले के ज्यादा आयात और कम मुनाफे की वजह से इन संयंत्रों पर वित्तीय रूप से बुरा असर पड़ रहा था। इसके पहले उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने सिफारिश की थी कि ज्यादा शुल्क के लिए पूरक बिजली खरीद समझौते (पीपीए) का सहारा लिया जाना चाहिए। गुजरात और हरियाणा को बिजली की आपूर्ति करने वाले अदाणी पावर के मुंद्रा संयंत्र ने भी इसी तरह की चिंता जताई थी। बहरहाल कंपनी को पिछले साल अप्रैल में पुनरीक्षित शुल्क के लिए जरूरी मंजूरी मिल गई थी।
टाटा पावर को मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) ने इसके पहले 2018 में कहा था कि वह उम्मीद करते हैं कि नए समाधान से मुंद्रा के नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी। मुंद्रा इकाई की सहायक कंपनी कोस्टल गुजरात पावर (सीजीपीएल) को वित्त वर्ष 20 में 891 करोड़ रुपये का संचयी नुकसान हुआ था। वित्त वर्ष 20 में संयंत्र को प्रति यूनिट 2.9 रुपये मिलते थे। इस यूनिट का नुकसान वित्त वर्ष 20 में कम हुआ था, जो वित्त वर्ष 19 में 1,654 करोड़ रुपये था।
टाटा पावर पांच राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा को अपने 4,000 मेगावॉट क्षमता वाले संयंत्र से बिजली की आपूर्ति करती है। इनमें से गुजरात और अब महाराष्ट्र खरीद समझौते पर फिर से काम करने को सहमत हो गए हैं। 4,000 मेगावॉट में से महाराष्ट्र को 760 मेगावॉट बिजली इस इकाई से मिलती है। सभी राज्यों को मौजूदा पीपीए में बदलाव पर सहमत होने की जरूरत है, जिसके बाद टाटा पावर और राज्य पुनरीक्षित पीपीए पर मंजूरी लेंगे।
