भारत के सबसे बड़े इंजीनियरिंग समूह लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) ने दुनिया के हाई-टेक निर्माण बाजार चीन में अपनी भागीदारी बढ़ाने की योजना बनाई है। चीनी प्रतिस्पर्धियों को मात देना चुनौतीपूर्ण होने के कारण, एलऐंडटी ने वैश्विक फर्मों में अपनी बिजनेस डेवलपमेंट स्ट्रैटजीज को कुशल बनाने पर जोर दिया है।
मई में, एलऐंडटी ने घोषणा की थी कि उसने चीन में रसायन दिग्गज बीएएसएफ की एक परियोजना के लिए दो एथाइलेन ऑक्साइड (ईओ) रिएक्टर भेजे हैं। हाई-टेक निर्माण सेगमेंट में कंपनी की मौजूदा ऑर्डर बुक का मूल्य 61 करोड़ डॉलर है, जिसका आधा हिस्सा निर्यात से जुड़ा है। हाई-टेक विनिर्माण हैवी इंजीनियरिंग के अंतर्गत एक उप-खंड है, जो महत्वपूर्ण उत्पादों से संबंधित है, तथा इसमें संयंत्र संचालन के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों पर अधिक निर्भरता होती है।
कंपनी के आंकड़े के अनुसार, इसका 6 प्रतिशत चीन को निर्यात किया जाता है। कंपनी के लिए पूर्णकालिक निदेशक (हैवी इंजीनियरिंग एवं एलऐंडटी वाल्व्स) अनिल परब ने कहा कि चीन के लिए निर्यात भागीदारी 1990 के दशक के आखिर में 20-30 प्रतिश्त के ऊंचे स्तरों से घटकर मौजूदा समय में 6 प्रतिशत रह गई है।
उन्होंने कहा, ‘चीन एक बड़ा बाजार है, लेकिन पहुंच सीमित है।’
एलऐंडटी जहां निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही है, वहीं कंपनी यूरोप से कुछ आयात में कटौती करने पर भी विचार कर रही है। परब ने कहा, ‘हमने यूरोप में काफी खरीदारी की है। लेकिन भारत में अब कुछ नई कंपनियां हैं जिन्होंने बड़ा निवेश किया है और वे यूरोप से हमारी आपूर्तिकर्ता हैं।’