बंबई उच्च न्यायालय ने रियल एस्टेट क्षेत्र के अरबपति कारोबारियों – अभिषेक लोढ़ा और अभिनंदन लोढ़ा को ट्रेडमार्क ‘लोढ़ा’ के संबंध में विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने को कहा है। न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर के एकल न्यायाधीश वाले पीठ ने पूछा कि क्या विवाद सुलझाने के लिए कोई उचित प्रयास किया गया है।
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर दोनों पक्ष सहमत हों तो भारत के किसी सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को किसी अन्य वरिष्ठ सदस्य के साथ मध्यस्थता के लिए नियुक्त किया जा सकता है। न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर ने कहा कि यह मध्यस्थता तय समय में होगी और इसमें दो सप्ताह से ज्यादा का वक्त नहीं लगेगा।
मैक्रोटेक डेवलपर्स के वकील डेरियस खंबाटा ने अदालत को बताया कि वे मध्यस्थता के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अलबत्ता हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा (एचओएबीएल) और संबंधित इकाइयों को मध्यस्थता चलते रहने तक ‘लोढ़ा’ ट्रेडमार्क का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।
अभिनंदन लोढ़ा के स्वामित्व वाली लोढ़ा वेंचर्स के प्रवक्ता ने कहा कि वे बंबई उच्च न्यायालय की सलाह पर चलेंगे। अदालत ने दोनों पक्षों से कहा है कि वे 28 जनवरी को बताएं कि क्या वे मध्यस्थता स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
इस महीने की शुरुआत में मैक्रोटेक डेवलपर्स ने ‘लोढ़ा’ नाम के इस्तेमाल को लेकर बंबई उच्च न्यायालय में एचओएबीएल के खिलाफ मुकदमा दायर किया था और 5,000 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की गई थी।
सोमवार को सुनवाई से पहले कंपनी परिणामों की बैठक के दौरान अभिषेक लोढ़ा ने कहा कि यह उनके लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत दुखद मामला है क्योंकि अभिनंदन लोढ़ा उनके छोटे भाई हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा उनके लिए बहुत अच्छे की कामना की है और मुझे उम्मीद है कि आगे भी वे रियल एस्टेट सहित अपने सभी क्षेत्रों में सफल होते रहेंगे।’