अगर आपको लगता है कि तेल की बढ़ती कीमतें आप जैसे आम आदमी को ही परेशान कर रही हैं, तो आप गलत सोच रहे हैं।
तेल के उबाल ने तो भारत के सबसे अमीर नागरिक मुकेश अंबानी की नाक में भी दम कर रखा है। हालत यह है कि इसी वजह से उन्होंने अपने तमाम पेट्रोल पंपों पर ताला डालने का फैसला कर लिया है।अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज अगले महीने के अंत तक देश में मौजूद अपने सभी 1,400 पेट्रोल पंप बंद कर देगी। इनमें से 900 पंप तो अगले दो हतों में ही बंद कर दिए जाएंगे।
हालांकि रिलायंस ने इसका ऐलान नहीं किया है, लेकिन उसने अपने सभी पंप संचालकों को इसके बारे में ताकीद कर दिया है। उद्योग सूत्रों ने बताया कि इन पंपों के लिए मौजूद तेल का स्टॉक खत्म होने के बाद कंपनी नया स्टॉक नहीं देगी।दरअसल कंपनी सरकारी तेल विक्रेताओं का मुकाबला नहीं कर पा रही है। सरकारी पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल और डीजल रिलायंस पंपों के मुकाबले कम कीमत पर मिल रहा है।
इससे सरकारी पंपों को जो घाटा होता है, उसे सरकार तेल बाँडों वगैरह के जरिये पूरा कर देती है। लेकिन रिलायंस को यह सहूलियत नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से उसके पंपों पर पेट्रो उत्पादों की कीमत ज्यादा है। इस कारण उसे ग्राहकों के टोटे का सामना करना पड़ रहा है।सरकारी कंपनियों यानी इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के पंपों के मुकाबले रिलायंस पंपों पर पेट्रो उत्पादों की कीमत 4 या 5 रुपये प्रति लीटर ज्यादा है।
इसके बावजूद रिलायंस को पेट्रोल पर 3.4 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 5.8 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। डीजल के खुदरा बाजार में कंपनी की हिस्सेदारी कुछ समय पहले तक 14.3 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 1 प्रतिशत से भी कम रह गई है।हालांकि सरकारी कंपनियों को भी पेट्रोल पर 9.68 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 12.21 रुपये प्रति लीटर का नुकसान सहना पड़ रहा है।
लेकिन उसकी भरपाई तेल बाँड और सब्सिडी से हो जाती है। यह छूट रिलायंस और एस्सार जैसी निजी कंपनियों को नहीं मिलती।रिलायंस ने इन पेट्रोल पंपों पर तकरीबन 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इनमें 450 पंपों की मालिक खुद रिलायंस है और वही उन्हें संचालित भी करती है।