गो फर्स्ट के कर्जदाताओं द्वारा एयरलाइन के फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश दिए जाने की संभावना है। यह एयरलाइन पिछले महीने से दिवालिया समाधान प्रक्रिया के अधीन है। इस घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने सोमवार को कहा कि कर्जदाता यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या फंड का गबन या किसी तरह की हेराफेरी तो नहीं हुई थी।
गो फर्स्ट के दिवालियापन संबंधित आवेदन में कहा गया है कि उस पर वित्तीय बकायेदारों – डॉयचे बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और IDBI Bank समेत कई बैंकों का 6,521 करोड़ रुपये बकाया (28 अप्रैल तक) था।
नकदी किल्लत की वजह से एयरलाइन को 2 मई को दिवालिया घोषित किया गया था और उसका आवेदन 10 मई को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) ने स्वीकार किया था। पंचाट ने अल्वरेज ऐंड मार्शल के अभिलाष लाल को अंतरिम समाधान पेशेवर के तौर पर नियुक्त किए जाने की पुष्टि की थी।
एयरलाइन की लेनदारों की समिति (COC) ने इस महीने के शुरू में अपनी पहली बैठक की, जिसमें बंद पड़ी विमानन कंपनी की कायाकल्प योजना पर चर्चा की गई थी। इस बैठक में लाल की जगह कंसल्टेंसी EY के शैलेंद्र अजमेरा को अंतरिम समाधान पेशेवर (RP) के तौर पर चुना गया।
कर्जदाताओं ने नए समाधान प्रक्रिया सलाहकार और समिति के लिए अधिवक्ता का भी चयन किया था। इस बैठक में सभी प्रस्तावों को 100 प्रतिशत वोट के साथ मंजूरी मिली थी।
हालांकि लाल ने पिछले महीने नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) को कायाकल्प योजना सौंपी थी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि अजमेरा विमानन कंपनी के कोष का विश्लेषण करने के बाद नई कायाकल्प योजना सौंप सकते हैं।
अधिकारियों का कहना है कि कर्जदाता यह सुनिश्चित करने के लिए फॉरेंसिक जांच कराने का आदेश दे सकते हैं कि उनके द्वारा एयरलाइन को दिए गए ऋणों का किसी कंपनी ने इस्तेमाल किया या नहीं। गो फर्स्ट ने इस संबंध में बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवालों का तुरंत कोई जवाब नहीं दिया है।
DGCA को सौंपी बहाली योजना में लाल ने कहा था कि एयरलाइन के पास अपने 26 चालू विमानों के जरिये उड़ानें संचालित करने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि एयरलाइन को यदि सेवाएं पुन: शुरू करने की अनुमति दी जाए तो वह प्रतिदिन 152 उड़ानें संचालित कर सकती है।
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एयरलाइन को फिर से बहाल करने की योजना को उन पट्टादाताओं से चुनौती का सामना करना पड़ा, जिन्होंने गो फर्स्ट द्वारा उनके विमानों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने या विमानों का पंजीकरण समाप्त करने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया।
जहां दिल्ली उच्च न्यायालय ने विमानों का पंजीकरण समाप्त करने के संबंध में याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है, वहीं एनसीएलटी ने विमानों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध और विमान इंजनों की जांच की मांग कर रही पट्टा कंपनियों के अनुरोध स्वीकार किए हैं।