सरकार देखेगी कि जिन क्षेत्रों में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है, उनमें इस योजना में किसी तरह के बदलाव की जरूरत तो नहीं है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने आज यह बताया। इस बारे में स्थिति चालू वित्त वर्ष के अंत तक स्पष्ट होगी और कोई निर्णय भी उसी समय तक लिया जा सकता है।
डीपीआईआईटी द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार 14 क्षेत्रों में से 8 क्षेत्रों – मोबाइल फोन विनिर्माण, आईटी हार्डवेयर, फार्मास्युटिकल, बल्क दवाएं, चिकित्सा उपकरण, दूरसंचार, खाद्य उत्पाद एवं ड्रोन – के लाभार्थियों को पीएलआई के अंतर्गत प्रोत्साहन दिए गए हैं।
सरकार भी मानती है कि बाकी छह क्षेत्रों – स्टील, टेक्सटाइल, बैटरी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, सोलर पीवी और वाहन क्षेत्र में पीएलआई योजना धीमी चल रही है। उन क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन राशि का आवंटन भी अभी शुरू नहीं हुआ है। संबंधित मंत्राल अपने-अपने स्तर पर इसकी जांच कर रहे हैं।
डीपीआईआईटी सचिव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जो क्षेत्र अच्छा कर रहे हैं वहां पीएलआई में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘जिन क्षेत्रों में कम प्रोत्साहन राशि जारी की गई है, उनसे जुड़े मंत्रालय नियम बदलने पर विचार करेंगे। फर्में तय सीमा पूरी नहीं कर सकीं तो उन्हें ढील दी जा सकती है.. कुछ योजनाओं में भी सुधार करना पड़ सकता है।’
सिंह ने कहा, ‘अन्य मामलों (आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना में हालिया संशोधन के अलावा) में उन क्षेत्रों पर नजर रखी जाएगी, जहां प्रोत्साहन
राशि का आवंटन नहीं हुआ है।’
पीएलआई योजना से जुड़े पक्षों के साथ 27 जून को समीक्षा बैठक भी होने वाली है। सरकारी अधिकारियों क् कहना है कि समीक्षा में उन 6 क्षेत्रों पर ध्यान रहेगा, जहां योजना जोर नहीं पकड़ पाई है। इससे आवंटित राशि का अगले दो-तीन साल में बेहतर इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने सोमवार को खबर दी थी कि पीएलआई योजना की पहली बार समीक्षा की जा रही है और लाभार्थियों के सामने आ रही शुरुआती समस्याएं सुलझाने के लिए सभी की राय जानी जाएगी। बैठक की अध्यक्षता वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल करेंगे। इसमें उन 14 मंत्रालयों के प्रतिनिधि होंगे, जो पीएलआई योजना के क्रियान्वयन में शामिल हैं। पीएलआई योजना का उद्देश्य भारत को विनिर्माण का अड्डा बनाना है।
वित्त वर्ष 2023 में पीएलआई योजना के तहत 3,420 करोड़ रुपये के दावे किए गए, जिनमें से 8 क्षेत्रों के लाभार्थियों को सरकार ने 2,874 करोड़ रुपये बांट दिए। इस तरह इस योजना के तहत 5 साल के लिए आवंटित 1.94 लाख करोड़ रुपये का 1.4 फीसदी सरकार ने प्रोत्साहन के तौर पर दे दिया है।
डीपीआईआईटी के अपर सचिव राजीव सिंह ठाकुर ने कहा, ‘अगले दो साल का समय 1.97 लाख करोड़ रुपये इस्तेमाल करने के लिए अहम होगा। 8 क्षेत्रों को प्रोत्साहन राशि मिल चुकी है। बाकी 6 क्षेत्रों को दूसरे या तीसरे साल में कुछ प्रोत्साहन राशि मिल सकती है।’
मौजूदा 14 क्षेत्रों के लिए योजनाओं के अलावा खिलौने, जूते-चप्पल और नए जमाने की बाइक के लिए पीएलआई योजना आ सकती है।