कोयले व खनिजों के खनन के सफल संपत्ति मुद्रीकरण को देखते हुए केंद्र सरकार तेल व गैस तथा अन्य क्षेत्रों की संपत्तियों के मुद्रीकरण के नए तरीकों में संभावनाएं तलाश रही है। एक अधिकारी ने कहा कि नीति आयोग संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से विभिन्न तरीकों पर विचार कर रहा है, जिससे तेल व गैस संपत्तियों का मुद्रीकरण किया जा सकता है और कारोबार सुगमता के साथ निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी को बढ़ावा दिया जा सकता है, जैसा खनन क्षेत्र में किया गया है।
सरकार का नीतिगत थिंक टैंक वित्त वर्ष 2023 के लिए मुद्रीकरण वाली संपत्तियों की सूची तैयार कर रहा है, जो बढ़कर 1.6 लाख करोड़ रुपये की हो गई हैं। साथ ही वह मंत्रालयों से इस मसले पर भी विमर्श कर रहा है कि क्षेत्र आधारित सुधारों से किस तरह से केंद्र सरकार संपत्ति मुद्रीकरण अभियान को गति दे सकती है। उन तरीकों पर भी चर्चा हो रही है, जिससे संपत्तियों का मुद्रीकरण निजी क्षेत्र के लिए आकर्षक हो। इसमें कोयला व खनन क्षेत्र की संपत्तियों के सफल मुद्रीकरण से भी सीख ली जा रही है, जहां खदानों का आवंटन डेवलपर व ऑपरेटर (एमडीओ) को किया गया है और खनिज व खनन विकास और नियमन अधिनियम में संशोधन कर निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी को आसान किया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि इनमें जोखिम कम करने के लिए बैकस्टॉप व्यवस्था के साथ अनुकूल उपयोग समझौते शामिल हैं।
अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार के पास पहले ही 1.6 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां मुद्रीकरण के लिए चिह्नित हैं, लेकिन इस साल 1.6 लाख करोड़ रुपये का पूरा करने के लिए पाइपलाइन तैयार रखने की जरूरत है, जो वसूली योग्य मूल्य से चार-पांच गुना ज्यादा हो। वित्त वर्ष 23 में सरकार को संपत्ति मुद्रीकरण अभियान में तेल एवं गैस, वेयरहाइउसिंग और रेलवे की संपत्तियों के साथ अन्य संपत्तियों के प्रमुख रहने की उम्मीद है।
इसके लिए केंद्र सरकार पारेषण गैस पाइपलाइन नेटवर्क के विस्तार और उपलब्ध पाइपलाइनों की क्षमता में सुधार पर विचार कर रही है। पाइपलाइन विकास और परिचालन के क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) का दबदबा है। सरकार प्राकृतिक गैस पारेषण संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और इस क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित करने पर विचार कर रही है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी शुरू करने और जोखिमों को कम करके निवेशकों को सुविधा देने के लिए गैस परिवहन समझौतों में बैकस्टॉप व्यवस्था की संभावना तलाशी जा रही है। साथ ही पाइपलाइन के इस्तेमाल को लेकर बेहतर शर्तों की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, जिससे कि ये संपत्तियां आकर्षक बन सकें।
6 साथ करोड़ रुपये के नैशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन में प्राकृतिक गैस पाइपलाइन की हिस्सेदारी करीब 4 प्रतिशत है।