आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारी में जुटी जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर कर्ज उतारने और और पूंजीगत व्यय पर रकम खर्च करने की योजना पर काम कर रही है। अमृता पिल्लै ने जब जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर के मुख्य कार्याधिकारी अरुण माहेश्वरी से बात की तो उन्होंने खुलासा किया कि कंपनी किस तरह अवसरों का लाभ उठाने की दिशा में काम कर रही है। प्रस्तुत हैं संपादित अंशः
कंपनी 2,800 करोड़ रुपये जुटाने की योजना तैयार कर रखी है। इसका इस्तेमाल किस तरह होगा ?
इस रकम में लगभग 1,200 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय पर खर्च किए जाएंगे। कुछ रकम मौजूदा परियोजनाओं में भी लगाई जाएगी। लगभग 900 करोड़ रुपये ऋण चुकाने में जाएंगे और इसके बाद जो रकम बच जाएगी वह सामान्य कारोबारी उद्देश्यों पर खर्च होगी।
क्या 900 करोड़ रुपये चुकाने के बाद आपकी कंपनी कर्ज मुक्त हो जाएगी। बाजार की मौजूदा हालत को देखते हुए आईपीओ लाने के पीछे क्या कारण हैं?
कारोबारी रफ्तार बनाए रखने के लिए हमें नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। इसके लिए मोटी पूंजी की जरूरत होगी और नए बंदरगाहों का विकास भी करना आवश्यक होगा। सरकार के विनिवेश कार्यक्रमों में भी हमारी दिलचस्पी होगी। कुल मिलाकर कारोबार विस्तार जारी रखने के लिए अवसरों का लाभ उठाने में हम कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए।
देश में अब चुनावों को लेकर गहमागहमी बढ़ने वाली है। इससे आपकी कारोबारी संभावनाओं के लिए इससे किसी तरह का जोखिम तो पैदा नहीं होगा?
पहली बात तो बुनियादी ढांचा क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। ये सभी जानते हैं कि इस क्षेत्र का विकास कितना अहम है। चुनाव आते-जाते रहेंगे मगर आर्थिक गतिविधियां जारी रहेंगी। कोई कारोबार अपनी खूबियों के दम पर टिका होता है। बंदरगाह क्षेत्र के विकास की गति अर्थव्यवस्था की रफ्तार को भी पीछे छोड़ चुकी है।
जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर कारोबार के लिए अपने समूह पर काफी निर्भर है, जो एक चिंता का विषय हो सकता है। आप इससे कैसे निपटेंगे?
मैं तो यह कहूंगा कि स्वयं अपने समूह में ऐसी कंपनी का होना हमारी मजबूती है। किसी भी बंदरगाह के लिए एक बड़ा ग्राहक जरूर होना चाहिए और अगर यह आपके समूह में ही उपलब्ध है तो इससे अच्छी बात क्या होगी।
खासकर, जेएसडब्ल्यू स्टील का पिछला प्रदर्शन देखें तो यह हमारे लिए फायदेमंद रहा है। भविष्य में स्वयं अपने और किसी दूसरे-तीसरे पक्ष के माल के वहन के बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता मगर हम इन दोनों में संतुलन बनाकर आगे बढ़ना चाहते हैं।
क्या आपकी नजर अधिग्रहणों पर भी होगी?
अगर क्षेत्र, जगह और फायदे हमारे हक में रहे तो हमें अधिग्रहण करने से कोई परहेज भी नहीं होगा। अगर क्षेत्र और जगह हमारे लिए अनुकूल रहे तो हम यह दांव लगाने से पीछे नहीं हटेंगे।
आपकी नजर में बंदरगाह क्षेत्र की मौजूदा हालत क्या है और किस क्षेत्रों से अधिक कारोबार मिलने की उम्मीद है?
कंटेनर, गैस एवं लिक्विड सेगमेंट हमारे लिए सबसे अहम होंगे।
कंपनी जितनी मात्रा में माल का वहन करती है उसमें कोयले का हिस्सेदारी लगभग आधी है। स्वच्छ ऊर्जा पर अधिक जोर के बीच कारोबार पर असर पड़ने की स्थिति में क्या करेंगे?
निकट भविष्य में कोयले का इस्तेमाल तो समाप्त होने वाला नहीं है। अगले तीन दशकों तक तो कोयले पर निर्भरता बनी रहेगी। भारत में फिलहाल कोयले का व्यावहारिक एवं आर्थिक रूप से किफायती विकल्प मौजूद नहीं है।