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JSW Group ने कर दिया बड़ा ऐलान, 2600 करोड़ के निवेश का साथ करेगा शुरुआत

जेएसडब्ल्यू भारत के तांबा उद्योग में प्रवेश करने वाली नई कंपनी है। इसमें अदाणी की कच्छ कॉपर और आदित्य बिड़ला समूह की हिंडाल्को पहले से ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं।

Last Updated- January 27, 2025 | 11:23 PM IST
JSW Infra approves capex of Rs 2,359 cr for expansion at Jaigarh, Dharamtar JSW Infra ने क्षमता विस्तार के लिए 2,359 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय को मंजूरी दी

सज्जन जिंदल के जेएसडब्ल्यू समूह ने आज झारखंड में दो खनन ब्लॉकों के लिए माइन ऑपरेटर ऐंड डेवलपर (एमडीओ) सौदे की बोली हासिल करने के बाद तांबा कारोबार में प्रवेश करने की घोषणा की। समूह ने कहा है कि वह इस पर 2,600 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। जेएसडब्ल्यू ने एक बयान में कहा है, ‘यह रणनीतिक कदम जेएसडब्ल्यू समूह के तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में आवश्यक धातुओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के नजरिये के अनुरूप है।’

प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के जरिये हासिल इस परियोजना में दो खदानों का संचालन और कॉपर कंसंट्रेटर संयंत्र की स्थापना शामिल है। कंपनी ने बयान में कहा है, ‘पूरी तरह परिचालन होने पर खदानों की अयस्क क्षमता सालाना 30 लाख टन होगी। ये खदानें वित्त वर्ष 2026-27 की दूसरी छमाही तक चालू होने की उम्मीद हैं।’

एमडीओ करार 20 वर्षों के लिए है। इसे 10 साल बढ़ाया जा सकता है। तांबे की खदानें हिंदुस्तान कॉपर की हैं और समझौते के शर्तों के तहत जेएसडब्ल्यू समान क्षमता वाले एक कंसंट्रेटर संयंत्र बनाने सहित पूंजीगत व्यय और परिचालन प्रबंधन के जरिये खदानों के विकास के लिए जिम्मेदार होगा। इसके बदले हिंदुस्तान कॉपर तकनीकी सहायता देगी और उसे आय का एक हिस्सा मिलेगा। यह कारोबार अलग कंपनी के तहत होगा जो समूह का हिस्सा होगी और इस कारोबार में मौजूदा कोई भी सूचीबद्ध कंपनी शामिल नहीं होगी। जेएसडब्ल्यू समूह के उत्तराधिकारी पार्थ जिंदल ने कहा, ‘अलौह धातुओं, खासकर तांबा कारोबार के क्षेत्र में उतरना जेएसडब्ल्यू समूह का एरणनीतिक कदम है। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे, निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों में तांबे की बढ़ती मांग से इस कारोबार में शानदार अवसर हैं।’

जेएसडब्ल्यू भारत के तांबा उद्योग में प्रवेश करने वाली नई कंपनी है। इसमें अदाणी की कच्छ कॉपर और आदित्य बिड़ला समूह की हिंडाल्को पहले से ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं। मगर जेएसडब्ल्यू समूह ने अब तक अंतिम उत्पाद के तौर पर तांबे के उत्पादन की कोई योजना साझा नहीं की है। अनिल अग्रवाल की वेदांत की भारत के मौजूदा तांबा उत्पादन में हिस्सेदारी साल 2018 में तमिलनाडु के तूतिकोरिन इकाई बंद होने से कम हो गई है। जिंदल ने अपने बयान में कहा है, ‘फिलहाल भारत तांबा कंसंट्रेट का प्रमुख आयातक है। इसलिए तांबे के देसी संसाधनों को विकसित कर हमारा लक्ष्य देश के औद्योगिक विकास को बल देना है और आयात पर निर्भरता कम करना है।’

First Published - January 27, 2025 | 10:43 PM IST

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