मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त करने में ट्विटर को हो रही देरी सरकार के साथ उसके विवाद का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है। इस सोशल मीडिया कंपनी ने कहा है कि कोविड-19 महामारी और व्यावहारिक कारणों से मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त करने में उसे अधिक समय लग रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 28 मई को कहा था कि उसके दिशानिर्देशों के अनुसार नए आईटी नियमों के तहत ज्यादातर सोशल मीडिया कंपनियां सभी आवश्यक जानकारियां साझा कर चुकी हैं लेकिन ट्विटर की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। मंत्रालय ने कहा कि अनुपालन अधिकारी के संबंध में इस सोशल मीडिया कंपनी ने कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई है।
मंत्रालय के निर्देशों के जवाब में ट्विटर ने 8 जून को कहा था, ‘हम सरकार द्वारा तैयार नियमों के महत्त्व को पूरी तरह समझते हैं और इन दिशानिर्देशों का पालन करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इनमें भारत में कर्मचारियों की नियुक्ति भी शामिल है। सरकार ने 25 फरवरी 2021 को ये दिशानिर्देश जारी किए थे लेकिन बाद में कोविड महामारी के कारण हमें जरूरी कदम उठाने में परेशानी हो रही है। इस वजह से कंपनी निर्धारित समय सीमा में अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर पा रही है।’
ट्विटर ने कहा कि आईटी नियमों के तहत उसने एक संपर्क सूत्र और एक स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति की थी। इस सोशल मीडिया इकाई ने बुधवार को कहा कि उसने अंतरिम मुख्य शिकायत अधिकारी की नियुक्ति की है और इसकी जानकारी सीधे मंत्रालय के साथ साझा की जाएगी। मंत्रालय ने 26 मई को सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नए सूचना-प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवंं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के अनुसार नियमों के अनुपालन की यथास्थिति की जानकारी देने के लिए कहा था। नए आईटी नियम 25 मई से प्रभाव में आ गए हैं। इन नियमों के प्रावधानों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों जैसे गूगल, फेसबुक, ट्विटर को मुख्य अनुपालनअ अधिकारी, एक नोडक अधिकारी और एक शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति एवं इनके बारे में जानकारियां मुहैया करने के लिए कहा था। सोशल मीडिया क्षेत्र के सूत्रों के अनुसार अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति के साथ जुड़ी एक विशेष बात यह है इस पद के साथ आपराधिक उत्तरदायित्व भी जुड़ा होगा। आईटी नियमों में कहा गया है कि तय दिशानिर्देशों का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी अनुपालन अधिकारी की होगी।
नए नियमों के प्रभाव में आने से कुछ दिनों पहले मंत्रालय को भेजे जवाब में यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) ने भी सुझाव दिया था कि नियमों के तहत कर्मचारियों पर आपराधिक उत्तरदायित्व के प्रावधान पर पुनर्विचार होना चााहिए। यूएसआईबीसी ने मंत्रालय को अपने सुझाव में कहा था, ‘किसी मध्यस्थ इकाई के कर्मचारियों पर आपराधिक उत्तरदायित्व तय करने की पहल आधुनिक निगमित अपराध उत्तरदायित्व प्रावधानों से मेल नहीं खाती है। आधुनिक समय में आपराधिक उत्तरदायित्व के बजाय मौद्रिक जुर्माने पर अधिक जोर दिया जा रहा है। इन बातों के मद्देनजर हम सरकार से आग्रह करते हैं कि अनुपालन अधिकारी की भूमिका के साथ आपराधिक उत्तरदायित्व जोडऩे के प्रावधान पर दोबारा विचार किया जाए।’
इसी उद्योग से जुड़े एक दूसरे सूत्र ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि यह नई भूमिका होगी, जबकि तकनीकी कंपनियों को सामान्य पदों पर नियुक्ति करने में भी छह से आठ महीने लग जाते हैं। सूत्र ने कहा, ‘इससे भी बड़ी बात यह है कि सोशल मीडिया कंपनी के प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित सामग्री के लिए अनुपालन अधिकारी जिम्मेदार होंगे इसलिए ऐसी भूमिका के लिए किसी व्यक्ति का चयन तो सोच-समझकर ही किया जाएगा।’ उदाहरण के लिए फेसबुक इंडिया में मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति के लिए प्रकाशित विज्ञापन में किसी भी समय काम करने के लिए तैयार रहने की शर्त रखी गई है।
