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विक्रम 32-बिट प्रोसेसर क्या है? भारत का पहला स्वदेशी स्पेस चिप; जानिए सबकुछ

Vikram 32-bit processor: यह पहली बार है जब भारत ने इतने बड़े पैमाने और स्पेसिफिकेशन वाला प्रोसेसर खुद डिजाइन और निर्मित किया

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वसुधा मुखर्जी   
Last Updated- September 02, 2025 | 1:45 PM IST

Vikram 32-bit processor: भारत ने मंगलवार को सेमीकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में अपना पहला पूरी तरह स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम 3201’ से पर्दा हटाया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह चिप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया। अधिकारियों ने इसे देश की सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि बताया है।

यह चिप भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी (SCL), चंडीगढ़ के सहयोग से तैयार किया है। विक्रम 3201 अंतरिक्ष मिशनों की कठिन परिस्थितियों, जैसेकि -55 डिग्री सेल्सियस से +125 डिग्री सेल्सियस तापमान को सहन करने में सक्षम है।

Vikram 32-bit प्रोसेसर क्या है?

आसान भाषा में कहें, तो विक्रम 3201 एक सेमीकंडक्टर माइक्रोप्रोसेसर है। यह स्मार्टफोन या लैपटॉप में इस्तेमाल होने वाले प्रोसेसर जैसा नहीं है, बल्कि इसे रॉकेट और सैटेलाइट के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।

यह पहली बार है जब भारत ने इतने बड़े पैमाने और स्पेसिफिकेशन वाला प्रोसेसर खुद डिजाइन और निर्मित किया है। यह इसरो के पुराने 16-बिट प्रोसेसर विक्रम 1601 का अपग्रेड है, जो 2009 से इसरो के लॉन्च व्हीकल्स में उपयोग हो रहा था।

Vikram 32-Bit प्रोसेसर क्या करेगा?

इस चिप का काम नेविगेशन, नियंत्रण और मिशन प्रबंधन करना है। यह माइक्रो सेकंड्स में जरूरी कैलकुलेशन करके रॉकेट को स्थिर और सही रूट पर बनाए रखता है। क्योंकि अंतरिक्ष का माहौल बेहद कठिन होता है, इसलिए इसे मिलिट्री-ग्रेड स्टैंडर्ड के हिसाब से बनाया गया है और सख्त परीक्षणों (बेहद गर्म, ठंडा, वाइब्रेशन और रेडिएशन जैसे हालात) से गुजारा गया है।

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16-बिट से 32-बिट तक: क्यों जरूरी है अपग्रेड?

विक्रम 3201, इसरो के पहले के विक्रम 1601 पर आधारित है, जो एक 16-बिट प्रोसेसर है और 2009 से भारत के लॉन्च व्हीकल्स को पावर देता आ रहा है।

अपने पिछले वर्जन के उलट यह नई चिप 64-बिट फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन, एडा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कम्पैटिबलिटी को सपोर्ट करती है। साथ ही मिशन के दौरान भरोसेमंद कम्युनिकेशन के लिए ऑन-चिप 1553B बस इंटरफेस की सुविधा प्रदान करती है।

नए वर्जन में क्या है खास

  • 32-बिट आर्किटेक्चर: ज्यादा डेटा और ज्यादा सटीकता से प्रोसेसिंग।
  • 64-बिट फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशन: ट्रैजेक्टरी और गाइडेंस कैलकुलेशन में मदद।
  • Ada प्रोग्रामिंग भाषा को सपोर्ट: जो एयरोस्पेस सिस्टम्स में व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है।
  • ऑन-चिप 1553B बस इंटरफेस: रॉकेट के दूसरे एवियोनिक्स मॉड्यूल से कनेक्टिविटी।

यह चिप SCL चंडीगढ़ में 180-नैनोमीटर CMOS टेक्नॉलजी से बनी है। यह तकनीक कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स की तुलना में पुरानी है, लेकिन एयरोस्पेस ग्रेड अप्लीकेशंस के लिए अत्यधिक भरोसेमंद मानी जाती है।

क्या विक्रम 3201 को अंतरिक्ष में टेस्ट किया गया है?

हां। विक्रम 3201 को PSLV-C60 मिशन में फ्लाइट के दौरान टेस्ट किया गया। यह POEM-4 (PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल) के मिशन मैनेजमेंट कंप्यूटर को पावर देता था। सफल परीक्षण के बाद इसरो ने इसके व्यापक उपयोग का रास्ता साफ किया।

मार्च 2025 में, MeitY सचिव एस कृष्णन ने इसरो प्रमुख डॉ. वी नारायणन को विक्रम 3201 और एक अन्य प्रोसेसर कल्पना 3201 की पहली खेप सौंपी।

कल्पना 3201: एक और स्वदेशी प्रोसेसर

कल्पना 3201 एक 32-बिट SPARC V8 RISC माइक्रोप्रोसेसर है, जिसे ओपन-सोर्स टूलचेन कॉ​म्पिटैबिलिटी के लिए तैयार किया गया है। इसका लक्ष्य भी भारत की स्वदेशी क्षमता को बढ़ाना है।

क्यों अहम है यह उपलब्धि?

स्पेस-ग्रेड प्रोसेसर आमतौर पर बाजार में उपलब्ध नहीं होते। इन्हें रेडिएशन, अत्यधिक तापमान और लॉन्च के वाइब्रेशन जैसी परिस्थितियों को सहना पड़ता है। अब तक भारत को इन प्रोसेसरों के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था।

विक्रम 3201 के साथ भारत ने इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की है और सप्लाई चेन में विदेशी निर्भरता घटाई है। यह आत्मनिर्भर भारत मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम है।

स्वदेशी सॉफ्टवेयर और टूल्स का विकास

इसरो ने विक्रम 3201 के लिए पूरा इकोसिस्टम भी तैयार किया है। इसमें एडा कंपाइलर, असेंबलर, लिंकर्स, सिमुलेटर, इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरनमेंट (IDE) शामिल हैं। इसके अलावा C कंपाइलर पर भी काम चल रहा है। इससे हार्डवेयर और डेवलपमेंट टूल्स दोनों पर भारत का पूरा कंट्रोल सुनिश्चित होगा।

विक्रम 3201 के अलावा इसरो ने चार और डिवाइस भी लॉन्च किए। इनमें री-कॉन्फिगरेबल डेटा एक्विजिशन सिस्टम (RDAS) के दो वेरिएंट, रिले ड्राइवर IC और मल्टी-चैनल लो ड्रॉप-आउट रेगुलेटर IC हैं। ये उपकरण भारत की विदेशी इलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भरता घटाने में मदद करेंगे।

सेमीकॉन इंडिया 2025

यह लॉन्च सेमीकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन का हिस्सा था। सम्मेलन में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, एडवांस पैकेजिंग, AI इनोवेशन और ग्लोबल पार्टनरशिप्स पर फोकस रहा।

भारत आज दुनिया के करीब 20% चिप डिजाइन इंजीनियर देता है, लेकिन डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग अभी भी पीछे है।
आईटी मंत्री अ​श्विनी वैष्णव ने बताया कि पांच सेमीकंडक्टर यूनिट्स अंडरकंस्ट्रक्शन हैं, जो सरकार की Design-Linked Incentive (DLI) स्कीम के अंतर्गत भारत को पूरी तरह लोकल सप्लाई चेन दिलाने में मदद करेंगी।

First Published : September 2, 2025 | 1:45 PM IST