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एआई के दौर में डेवलपरों को नए कौशल और नई सोच की जरूरत: सत्य नडेला

नडेला ने कहा कि कॉन्टेक्स्टुअल इंजीनियरिंग किस तरह ‘अच्छी पुरानी डेटा इंजीनियरिंग’ के समान तो है, लेकिन जब डेटा इस्तेमाल की बात आती है, तो यह अलग हो जाती है।

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अविक दास   
Last Updated- December 12, 2025 | 8:52 AM IST

माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्य अधिकारी सत्य नडेला ने कहा कि आधुनिक सॉफ्टवेयर सिस्टम बनाने के लिए डेवलपरों की सोच में बदलाव की जरूरत है, जिसके लिए उन्हें नए कौशल भी सीखने होंगे, क्योंकि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के जीवनचक्र को बदल रही है।
भारत दौरे के तीसरे दिन बेंगलूरु में नडेला कैजुअल कपड़ों में थे, शायद इसलिए कि वह भारत की सिलिकॉन वैली में जीवंत डेवलपर तंत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस बारे में भी बात की कि कॉन्टेक्स्टुअल इंजीनियरिंग किस तरह ‘अच्छी पुरानी डेटा इंजीनियरिंग’ के समान तो है, लेकिन जब डेटा इस्तेमाल की बात आती है, तो यह अलग हो जाती है।

उन्होंने गुरुवार को खचाखच सभा में हितधारकों से कहा, ‘यह अच्छी पुरानी डेटा इंजीनियरिंग की तरह है, लेकिन यह अलग तरह की डेटा इंजीनियरिंग है, जहां आप चाहते हैं कि आपका डेटा उस रूप में आए, जो आपको इंटेलिजेंस में फीड करने और उसके चारों ओर ऑर्केस्ट्रेट करने की अनुमति दे। हमें क्लासिक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जीवन चक्र (एसडीएलसी) की सीमा के बारे में इसी तरह सोचने की जरूरत है और इसे एआई संचालित एसडीएलसी के नए रूप में बदलना होगा। यह बहुत अहम होगा।’

तीन साल पहले चैटजीपीटी के आने के बाद से कोडिंग काफी ज्यादा स्वचालित हो चुकी है क्योंकि मशीनें हजारों लाइनों के कोड लिख रही हैं, जिन्हें पहले इंजीनियरों द्वारा लिखा जाता था। जहां इससे उत्पादकता में सुधार हुआ है और कोड लिखने वाले और ज्यादा हाई-एंड काम पर ध्यान दे पा रहे हैं, वहीं इसका मतलब यह भी है कि पिरामिड के निचले सिरे पर नौकरियों में अनिश्चितता है, युवा इंजीनियरों को प्रासंगिक बने रहने के लिए रीस्किलिंग की जरूरत है या वरना वे खत्म हो जाएंगे। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया और दक्षिण एशिया के अध्यक्ष पुनीत चंडोक ने भी एआई के जमाने रीस्किलिंग की जरूरत पर जोर दिया और चेतावनी दी कि यह तकनीक नौकरियां नहीं चुराएगी, बल्कि उन्हें अलग-अलग हिस्सों में बांट देगी।’

माइक्रोसॉफ्ट ने यह भी ऐलान किया कि उसने टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और कॉग्निजेंट के साथ मिलकर 50,000 से ज्यादा कोपायलट लाइसेंस इस्तेमाल किए हैं और ये कुल मिलाकर 2,00,000 से ज्यादा हो चुके हैं, ताकि ह्यूमन-एजेंट सहयोग संबंधी वर्कफ्लो को फिर से डिजाइन किया जा सके तथा डिलिवरी, बिक्री, वित्त, मानव संसाधन और ग्राहक जुड़ाव में उत्पादकता और दक्षता में सुधार किया जा सके।

माइक्रोसॉफ्ट 2025 वर्क ट्रेंड इंडेक्स की सालाना रिपोर्ट से पता चलता है कि उत्पादकता, कौशल विकास और डिजिटल लेबर के साथ क्षमता विस्तार भारतीय अकार्यकारियों के लिए प्राथमिकता बनी हुई है। 64 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उत्पादकता बढ़नी चाहिए जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 53 प्रतिशत है। भारतीय मूल के नडेला ने सॉवरिन क्लाउड अपनाने और साइबर सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने के बारे में भी आगाह किया। माइक्रोसॉफ्ट ने अपने बड़े निवेश प्रस्ताव के तहत भारतीय ग्राहकों के लिए सॉवरिन पब्लिक क्लाउड और सॉवरिन प्राइवेट क्लाउड पेश किया है।

First Published : December 12, 2025 | 8:52 AM IST