लंबे समय से विवाद में रहे 3जी स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर अब दूरसंचार विभाग नई योजना पर विचार कर रहा है।
इसके तहत निविदा के जरिए विभाग करीब दस ऑपरेटरों को 3जी लाइसेंस जारी करेगा, जिसमें दूरसंचार क्षेत्र में पहले से मौजूद और नए, दोनों ऑपरेटरों को शामिल किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि दूरसंचार मंत्रालय में वायलेस विशेषज्ञ 20 मेगा हट्र्ज के अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की संभावना तलाश रहे हैं, जिसे 4 अन्य ऑपरेटरों को जारी किया जा सके।
सूत्रों का कहना है कि विभाग के इस कदम से 3जी स्पेक्ट्रम पर साल भर से चल रहे विवाद पर विराम लगने की संभावना है। दरअसल, दूरसंचार क्षेत्र में पहले से सक्रिय ऑपरेटर विभाग की उस योजना का विरोध कर रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि 3जी स्पेक्ट्रम आवंटन की लिए आयोजित निविदा में नए ऑपरेटरों समेत विदेशी दूरसंचार कंपनियों को भी शामिल किया जाए।
पुराने ऑपरेटरों का कहना है कि पहले ही इस क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा है, ऐसे में नए व विदेशी कंपनियों को बोली में शामिल करने से लाइसेंस फीस में अनावश्क बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे सेवा उपलब्ध कराने में अधिक खर्च आएगा। उल्लेखनीय है कि दूरसंचार विभाग पहले ही 25 मेगा हट्र्ज के 3जी स्पेक्ट्रम को चिन्हित कर चुका है, जिसे नीलामी के जरिए पांच ऑपरेटरों को मुहैया कराया जाएगा। यही नहीं, इनमें से एक सरकारी नियंत्रण वाली दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के लिए रिजर्व रखने की भी बात कही जा रही है।
वर्तमान में प्रत्येक सर्किल में करीब 10 से 12 ऑपरेटर मौजूद हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा, 3जी स्पेक्ट्रम आवंटन में तीन-चार नई कंपनियां भी भाग लेने का विचार कर रही है। विभाग प्राइवेट कंपनियों के लिए 3 जी स्पेक्ट्रम के 5 मेगा हट्र्ज के पांच ब्लॉकों को आवंटित करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा, एक ब्लॉक बरएसएनएलएमटीएनएल के सुरक्षित रखने की योजना है। स्पेक्ट्रम लाइसेंस प्राप्त करने के लिए ट्राई की ओर से जो शुल्क तय किया गया है, उसे तीन कैटोगरी में बांटा गया है।
ए कैटोगरी सर्किल के लिए फीस 160 करोड़ रुपये, जबकि बी कैटोगरी के लिए 80 करोड़ रुपये और सी कैटोगरी के लिए 30 करोड़ रुपये तय किया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, स्पेक्ट्रम आवंटन से सरकार को करीब 20,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है। दरअसल, हर ऑपरेटरों से करीब 4,000 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क के तौर पर लिए जाएंगे।
दूरसंचार ऑपरेटरों का कहना है कि लाइसेंस शुल्क के तौर पर भारी राशि चुकाने से इसका भार उपभोक्ताओं पर डाला जा सकता है। उधर, सरकार का कहना है कि ज्यादा ऑपरेटर होने से उपभोक्ताओं के पास यह विकल्प होगा कि वह अपनी पसंद के किसी भी ऑपरेटर की सेवा ले सकते हैं। वहीं एक सर्किल में ज्यादा ऑपरेटर रहने से उपभोक्ताओं को कम शुल्क में बेहतर सेवा उपलब्ध कराने की प्रतिस्पर्धा रहेगी।
नई राह की कवायद
10 ऑपरेटरों को 3जी स्पेक्ट्रम आवंटन करने की योजना
विशेषज्ञ 20 मेगा हट्र्ज के चार अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की तलाश रहे संभावना
स्पेक्ट्रम आवंटन से सरकार को करीब 20,000 करोड़ रुपये का होगा फायदा
दूरसंचार क्षेत्र के नए-पुराने, दोनों ऑपरेटरों को बोली में किया जाएगा शामिल