एचआर (मानव संसाधन) क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि प्रमुख आईटी सेवा कंपनियों में फ्रेशर स्तर पर अधिक वेतन देकर नौकरी पर रखने की कम चलन वाली रणनीति प्रौद्योगिकी बदलाव के बीच कंपनियों के लिए ध्यान का केंद्र बन सकती है।
करीब चार से पांच साल पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), एक्सेंचर, इन्फोसिस, विप्रो, कॉग्निजेंट और कैपजेमिनी जैसी आईटी सेवा कंपनियों ने अधिक वेतन पर शुरुआती स्तर वाली प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न स्तर वाले ढांचे बनाने शुरू किए थे।
इस विविधता को लाने का कारण यह था कि डिजिटलीकरण की लहर के साथ काम की प्रकृति बदल रही थी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों, वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) तथा स्टार्टअप कंपनियों से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही थी।
स्पेशलिस्ट स्टाफिंग उद्यम एक्सफेनो के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी कमल कारंत ने कहा ‘आईटी सेवा कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों प्रतिभाशाली फ्रेशर्स को गंवा रही थीं और आकलन के आधार पर इंजीनियरों को अलग करने से उन्हें इन स्नातकों को वित्तीय रूप से विभिन्न वेतन समूह में शामिल करने की क्षमता मिली। इससे उन्हें अधिक कौशल संपन्न और कुछ मामलों में अधिक वेतन स्तरों पर प्रमुख कॉलेजों से फ्रेशर्स नियुक्त करने की अनुमति मिली।’
आईटी सेवा क्षेत्र में शामिल होने वाले किसी फ्रेशर इंजीनियर का वेतन 3.25 लाख रुपये से 3.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से शुरू होता है। जबकि इस विभिन्न स्तर वाले ढांचे के जरिये चुने जाने वाले फ्रेशर को 6.25 लाख रुपये से लेकर 12 लाख रुपये प्रति वर्ष तक वेतन मिल सकता है।
कैंपस से भर्ती की रफ्तार धीमी पड़ने की वजह से इस विभिन्न स्तर वाले ढांचे के तहत की जाने वाली भर्ती भी प्रभावित हुई है, लेकिन जिन कैंपस प्लेसमेंट प्रमुखों और एचआर विशेषज्ञों के साथ बिजनेस स्टैंडर्ड ने बात की उनका मानना था कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और आधुनिक तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किए जाने से यह रणनीति अब ध्यान का मुख्य क्षेत्र बन जाएगी। टीसीएस और विप्रो जैसी कंपनियों को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।
सवाल उठता है कि फ्रेशर्स की भर्ती के लिए विभिन्न स्तर वाले ढांचे की जरूरत क्यों है? दरअसल, यह प्रवृत्ति तब शुरू हुई, जब डिजिटलीकरण चर्चा का विषय बनना शुरू हो गया और ग्राहक उन प्रतिभाओं की मांग करने लगे, जो आम तौर पर आईटी फर्मों द्वारा नियुक्त किए जाने वाली प्रतिभाओं से आगे थे।
एक दशक पहले आईटी सेवाओं द्वारा की जाने वाली इंजीनियरिंग क्षेत्र की अधिकांश नियुक्तियां मुख्य रूप से सामान्य किस्म की नियुक्तियां ही थीं। इसके बाद एक बार फिर प्रतिभा के नजरिये से आईटी सेवाओं द्वारा संचालित की जाने वाली परियोजनाएं भी एप्लीकेशन डेवलपमेंट मैनेजमेंट प्रकार की थी, जिसमें जावा, टेस्टिंग, एसएपी या ओरेकल आदि शामिल थे।
जब डिजिटलीकरण की चर्चा शुरू होने लगी, तो इसमें बदलाव आना शुरू हुआ। ग्राहक भी कहा करते थे कि उन्हें वही साधारण इंजीनियरिंग वाले प्रतिभा समूह नहीं चाहिए। हायरप्रो के सीओओ एस एस पशुपति बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में भी बदलाव आना शुरू हो गया है।