दूरसंचार कंपनियां ओटीटी (ओवर दी टॉप) प्लेटफॉर्मों को अपना दायरा और राजस्व बढ़ाने में मदद दे रही हैं। इन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की दूरसंचार कंपनियों पर निर्भरता की वजह बहुत साफ है। जहां देश में टीवी स्क्रीन की संख्या 20 करोड़ अनुमानित है वहीं, स्मार्टफोन स्क्रीन की संख्या दोगुनी यानी 40 करोड़ है और यह लगातार बढ़ रही है। उद्योग के अनुमानों के मुताबिक देश में स्क्रीन की संख्या वर्ष 2025 तक 1 अरब से 1.1 अरब तक पहुंच जाएगी, लेकिन उनमें से करीब 75 से 80 फीसदी स्मार्टफोन स्क्रीन होंगी।
पिछले दिनों एमेजॉन प्राइम ने एयरटेल के प्रीपेड ग्राहकों को मात्र 89 रुपये प्रति माह में अपनी सेवा देने के लिए इस दूरसंचार कंपनी के साथ एक विशेष गठजोड़ किया। यह अपनी तरह का पहला कदम है, जिसका उद्देश्य अपने बाजार को बढ़ाना है। इसकी मुख्य प्रतिस्पर्धी नेटफ्लिक्स की पहले से ही ऐसी पेशकश है, लेकिन इस दूरसंचार पेशकश की कीमत 199 रुपये प्रति माह है। रिलायंस जियो अपने पोस्ट पेड मोबाइल टैरिफ के साथ एमेजॉन प्राइम, नेटफ्लिक्स और अन्य सेवाएं देती है।
बोफा ग्लोबल रिसर्च का अनुमान है कि देश में 40 करोड़ ओटीटी उपयोगकर्ताओं में से 30 करोड़ दूरसंचार कंपनियों के साथ साझेदारी से मिले हैं। इस समय भुगतान करने वाले ग्राहकों की संख्या महज 1.5 करोड़ है। ज्यादातर उपयोगकर्ता सेवा लेने के लिए पैसा नहीं चुकाना चाहते हैं क्योंकि केबल एवं ओटीटी के साथ ब्रॉडबैंड के बीच शुल्क में बड़ा अंतर है। केबल 200 से 250 रुपये प्रति माह में उपलब्ध है और इसमें सैकड़ों चैनल मिल जाते हैं। दूसरी तरफ ओटीटी चैनल और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की लागत 600 से 700 रुपये प्रति महीने से कम नहीं होगी।
ओटीटी कंपनियों के सामने चुनौती यह है कि उनके ओरिजनल सामग्री पर खर्च करने से लागत बढ़ती जा रही है लेकिन सबस्क्रिप्शन से राजस्व अर्जित करने की गुंजाइश सीमित है। राजस्व में ज्यादातर हिस्सा विज्ञापनों का है, लेकिन सबस्क्रिप्शन से आमदनी कमजोर है।
मीडिया पार्टनर्स एशिया (एमपीए) के मुताबिक भारत में ऑनलाइन वीडियो उद्योग के वर्ष 2020 में 1.4 अरब डॉलर का राजस्व सृजित करने का अनुमान है, जिसमें विज्ञापन का योगदान 64 फीसदी और सबस्क्रिप्शन का 36 फीसदी है। फिर भी पिछले साल उन्होंने भारत के लिए सामग्री पर 60 करोड़ डॉलर खर्च किए।
इस माहौल में दूरसंचार कंपनियां बाजार के विस्तार और राजस्व सृजित करने का एक रास्ता मुहैया कराती हैं। उदाहरण के लिए रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन जैसी कंपनियां या तो अपने प्लेटफॉर्मों पर विभिन्न ओटीटी से सामग्री को एग्रीगेट करती हैं (जैसे एयरटेल एक्सट्रीम और वी मूवीज ऐंड टीवी) या किसी टैरिफ प्लान के साथ पूरा ओटीटी प्लेटफॉर्म ही जोड़ देती हैं।
