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मोबाइल चोरों की खैर नहीं!

Last Updated- December 07, 2022 | 3:03 PM IST

आईआईटी कानपुर ने अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सर्विलांस और ट्रैकिंग तकनीक विकसित की है। इस उपकरण के जरिए मोबाइल फोन की सटीक लोकेशन और रेलगाड़ियों की स्थिति के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी।


यह उपकरण जांच एजेंसियों-इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और सीबीआई के लिए भी मददगार साबित हो सकता है। नई तकनीक से मोबाइल फोन की सटीक अवस्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है, जबकि वर्तमान में जो पद्धति काम कर रही है, उससे बीटीएस टावर की लोकेशन का ही पता चल पाता है।

ऐसे में जांच एजेंसियों को टावर के रेंज में आने वाले 35 किलोमीटर के दायरे में संदिग्ध को तलाशना पड़ता है, जिसमें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नई तकनीक के इस्तेमाल से सटीक जानकारी मिलने पर जांच एजेंसियां अपराधियों और आतंकियों को भी आसानी से पकड़ सकती हैं। संस्थान के कंप्यूटर साइंस विभाग के एक प्रोफेसर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुरोध पर विभाग इस तकनीक पर वर्ष 2004 से ही काम कर रहा है।

प्रोफेसर शुक्ला ने बताया कि इस तकनीक का सफल परीक्षण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि गुम हुए मोबाइल की सटीक स्थिति के बारे में इस उपकरण के जरिए आसानी से पता लगाया जा सकता है, जबकि इससे पहले ऐसा संभव नहीं था। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर मोबाइल स्विच ऑफ हो, तो यह तकनीक कारगर नहीं होती।

इसके साथ ही रेल डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन के सहयोग से संस्थान ने तीन साल की कड़ी मशक्कत के बाद 7,000 रेलवे स्टेशनों का डिजिटल मैप भी तैयार किया है, जिसका उपयोग उपग्रह आधारित ट्रेन ट्रैकिंग सिस्टम में किया जाना है। यह उपकरण ट्रेन की सही स्थिति और समय की जानकारी मुहैया कराएगा। रेल मंत्रालय इस चरणबद्ध तरीके से इस तकनीक का इस्तेमाल 10,000 ट्रेनों में करने की योजना बना रहा है।

आईआईटी कानपुर ने तैयार की खास सर्विलांस और ट्रैकिंग तकनीक
रेलगाड़ियों की सही स्थिति और समय का चलेगा पता
मोबाइल की सटीक जानकारी भी होगी उपलब्ध
अपराधियों को पकड़ने में एजेंसियों को होगी आसानी

First Published - August 5, 2008 | 12:50 AM IST

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