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विदेश से कारोबार चाहिए… तथास्तु

Last Updated- December 05, 2022 | 4:50 PM IST

क्या चाहिए बच्चा…यह वाक्य धार्मिक कथाओं में पहुंचे हुए साधुओं के श्रीमुख से सुनना आम था और इसका जवाब भी, जो अमूमन तथास्तु ही होता था।


 अब पहुंचे हुए साधु मिले न मिलें लेकिन भारतीय बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) कपंनियों के लिए ‘इंटरनेट बाबा’ तथास्तु कहने में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं।यकीन नहीं आता तो जरा गौर फरमाइए, ट्रांसफॉर्म सोल्यूशन्स के एमडी अशफाक शिलिवाला, कभी अमेरिका नहीं गए, लेकिन इसके बावजूद उनके पास वहां के 280 से भी अधिक ग्राहक हैं। वे अपने ग्राहकों के साथ ऑनलाइन के जरिए जुड़े रहते हैं।


 साल 2000 में शिलिवाला के पास महज 5 से 6 कर्मचारी थे लेकिन आज उनके कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 190 तक पहुंच गई है। वित्तीय वर्ष 2006-07 में उनकी आमदनी प्रति माह करीब 15,000 डॉलर है तो सालाना 1.5 करोड़ रुपये।


सूरत स्थित ट्रांसफॉर्म सोल्यूशन ऑनलाइन के माध्यम से अमेरिकी उपभोक्ताओं को सेवा मुहैया करवा कर अपने कारोबार में दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है। शिलिवाला ने बताया,”हम अमेरिका के उपभोक्ताओं को प्रशासनिक तरीके की सेवाएं मुहैया करवाते हैं। हम घंटे और प्रोजेक्ट के हिसाब से शुल्क लेते हैं। हम किसी प्रोजेक्ट के लिए प्रति आमतौर पर प्रति घंटे न्यूनतम 3 से 4 डॉलर के आसपास लेते हैं।”


ट्रांसफॉर्म उन 4000 भारतीय सेवा प्रदाताओं में से एक है, जो कि इलेंस डॉट कॉम नाम के करीब 4 हजार भारतीय सेवा प्रदाताएं मौजूद हैं। यह ऐसा पोर्टल है, जहां विदेशी लोग अपने-अपने प्रोजेक्ट का ब्यौरा देते हैं और ये सेवाप्रदाता इनके लिए बोलियां लगाते हैं। अमेरिका का यह पोर्टल मांग पर आधारित काम की अवधारणा पर काम करता है।


एक आंकड़े के मुताबिक, साल 2007 में इलेंस पर करीब 140,000 प्रोजेक्ट पोस्ट किए गए थे। यह पोर्टल पूरी दुनिया में मुख्य रूप से छोटे और मझोले उद्यमों (एसएमई) की जरूरतों को पूरा करता है।


इस पोर्टल को इस्तेमाल करने के लिए एक महीने का शुल्क 10 से 30 डॉलर के बीच होता है। इसके अलावा, इलेंस दो कंपनियों के बीच बातचीत, उनका पोर्टफोलियो रखने और साथ ही प्रमाण-पत्र मुहैया करवाने के लिए भी काम करती है।

First Published - March 21, 2008 | 12:47 AM IST

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