पता चला है कि सर्वाधिक मात्रा में स्पेक्ट्रम लेने और भविष्य के इस्तेमाल के लिए कुछ अतिरिक्त वायु तरंग हासिल करने के लिए रिलायंस जियो ने आगामी नीलामी में भागीदारी करने के लिए सर्वाधिक अग्रिम धन जमा कराया है। गणना के मुताबिक यदि कंपनी सभी 22 दूरसंचार सर्कलों में प्रत्येक बैंड में स्पेक्ट्रम का एक ब्लॉक खरीदेगी तो उसने कम से कम 7,800 करोड़ रुपये अग्रिम धन के रूप में जमा कराया होगा।
धन जमा कराने के मामले में भारती एयरटेल जियो के ठीक बाद है जिसके बाद वोडाफोन आइडिया (वीआई) का स्थान है जिसने सबसे कम धन जमा कराया है। पता चला है कि वीआई ने केवल नवीनीकरण वाले स्पेक्ट्रम को खरीदने में रुचि दिखाई है और स्पेक्ट्रम की मात्रा के अनुपात में अग्रिम धन का भुगतान किया है। 5 मेगाहट्र्ज (जोड़ा) के ब्लॉक आकार में बेचे जाने वाले प्रीमियम 700 मेगाहट्र्ज के लिए न्यूनतम जमा राशि 3,660 करोड़ रुपये है। नीलामी के तहत पेश किया जाने वाला यह सर्वाधिक खर्चीला बैंड है।
भारतीय एयरटेल पुराने स्पेक्ट्रम के लाइसेंस का नवीनीकरण कराने के साथ ही कुछ नए स्पेक्ट्रम खरीदने पर विचार कर रही है। वोडाफोन आईडिया मौजूदा नीलामी में केवल स्पेक्ट्रम के नवीनीकरण पर ध्यान दे रही है।
सभी तीन निजी दूरसंचार ऑपरेटरों ने दूरसंचार विभाग की ओर से वायु तरंगों की आगामी नीलामी में भागीदारी करने के लिए अपना आवेदन जमा कराया है।
स्पेक्ट्र्रम की नीलामी कराने के लिए एमएसटीसी को चुना गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम ने 2015 के आरंभ में कोयले की नीलामी करवाई थी। कोयले की यह नीलामी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सितंबर 2014 में कोयला खदानों के आवंटन को रद्द किए जाने के बाद हुई थी। एसएसटीसी केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के लिए भी नीलामी का आयोजन कर रही है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अगस्त 2018 में स्पेक्ट्रम की कीमत पर अपनी सिफारिशें दी थी। इसके तहत नियामक ने 2016 की नीलामी में अनबिके आवृत्तियों की आधार कीमत को घटा दिया था।
2016 में अनबिके प्रीमियम 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के आरक्षित मूल्य को 40 फीसदी से अधिक घटाकर 6,568 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज (पूरे देश में) कर दिया गया था जो 2016 में 11,485 करोड़ रुपये रहा था।