कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में कंप्यूटर साइंस में परास्नातक कर रहे अभिषेक जाधव (नाम बदला हुआ) को भविष्य की बहुत फिक्र हो रही है। तकनीकी क्षेत्र में नौकरियों की किल्लत और अमेरिका में भारी छंटनी को देखते हुए उनकी और दूसरे छात्रों की चिंता जायज भी है।
जाधव ने कहा, ‘मुझे उम्मीद थी कि परास्नातक के बाद मुझे पसंदीदा कंपनी में नौकरी मिल जाएगी। मगर अब मेरा एक ही मकसद है – पढ़ाई खत्म करने से पहले एक अदद नौकरी तलाश लेना।’ जाधव की तरह कई प्रवासी छात्रों को तो किसी कंपनी में इंटर्नशिप पाना भी मुश्किल हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘यह वाकई मायूसी वाली बात है। पिछले साल के बैच को यह दिक्कत नहीं थी। मैं नौकरी करने भारत भी नहीं जा सकता क्योंकि वहां जितना वेतन मिलेगा उसमें तो शिक्षा ऋण चुकाने में ही कई साल लग जाएंगे।’
जाधव ने अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए अपना पुश्तैनी मकान गिरवी रखकर भारी कर्ज लिया है। जावध जिस समस्या से जूझ रहे हैं, वह अमेरिका में पढ़ाई करने वालों के साथ ही नहीं है। भारत में भी हाल ऐसा ही है। यहां पढ़ाई पूरी कर प्लेसमेंट का इंतजार कर रहे छात्र भी ऊहापोह में फंसे हैं क्योंकि बड़े पैमाने पर भर्तियों के लिए कॉलेज परिसर आने वाली देसी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियां इस बार कॉलेजों में आई ही नहीं हैं।
इंजीनियरिंग के चौथे वर्ष के छात्र पारस खिलोसिया ने बताया, ‘हमारे प्लेसमेंट सेल ने कहा है कि जो भी नौकरी मिले, ले लो।’ उन्होंने कहा कि आम तौर पर प्लेसमेंट अक्टूबर-नवंबर में तकरीबन पूरा हो जाता था, लेकिन इस बार देर हो रही है और कई दफा टल चुका प्लेसमेंट अगले साल की पहली तिमाही तक धकेला जा सकता है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और इन्फोसिस जैसी बड़ी कंपनियां परिसर में नहीं आईं। पारस के ज्यादातर दोस्त उच्च शिक्षा लेने या कैंपस से इतर नौकरियां तलाशने की योजना बना रहे हैं।
एक छात्रा ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हम सभी ऐसी जगह नौकरी पाने की दुआ कर रहे हैं, जहां सालाना कम से कम 5-6 लाख रुपये वेतन मिले। मैंने 20 जगहों पर आवेदन किया मगर कहीं बात नहीं बनी। कैंपस में भर्तियां भी सुस्त है।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जिन कॉलेजों से बात की उन्होंने भी प्लेसमेंट में नरमी की बात स्वीकार की। महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे में सेंटर ऑफ इंडस्ट्री एकेडमिया पार्टनरशिप के प्रबंधक संजीव बिस्वाल ने कहा कि 2024 के इंजीनियरिंग बैच में 350 से 360 छात्र हैं।
उन्होंने कहा, ‘पिछले साल हमने 100 से ज्यादा छात्रों का प्लेसमेंट कराया था। उस समय छात्रों को नियुक्त करने वाली कंपनियों ने जुलाई-अगस्त तक उन्हें कंपनी में शामिल करने का भरोसा दिया था। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। जिन्हें जुलाई 2023 में कंपनी जॉइन करनी थी उन्हें कंपनी से कोई संदेश ही नहीं मिला है। हमें नहीं लगता कि ये कंपनियां 2024 के बैच के लिए आएंगी क्योंकि अभी तो वे पिछले बैच के छात्रों को भी जॉइन नहीं करा पाई हैं।’
बिस्वाल ने कहा कि कॉलेज ने 100 कंपनियों से संपर्क किया है मगर 25 ने ही प्लेसमेंट के लिए आने की बात कही है। ज्यादातर कंपनियां पूरी प्रक्रिया में देर ही कर रही हैं।
एक छात्रा ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हम सभी ऐसी जगह नौकरी पाने की दुआ कर रहे हैं, जहां सालाना कम से कम 5-6 लाख रुपये वेतन मिले। मैंने 20 जगहों पर आवेदन किया मगर कहीं बात नहीं बनी। कैंपस में भर्तियां भी सुस्त है।’
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जिन कॉलेजों से बात की उन्होंने भी प्लेसमेंट में नरमी की बात स्वीकार की। महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे में सेंटर ऑफ इंडस्ट्री एकेडमिया पार्टनरशिप के प्रबंधक संजीव बिस्वाल ने कहा कि 2024 के इंजीनियरिंग बैच में 350 से 360 छात्र हैं।
उन्होंने कहा, ‘पिछले साल हमने 100 से ज्यादा छात्रों का प्लेसमेंट कराया था। उस समय छात्रों को नियुक्त करने वाली कंपनियों ने जुलाई-अगस्त तक उन्हें कंपनी में शामिल करने का भरोसा दिया था। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। जिन्हें जुलाई 2023 में कंपनी जॉइन करनी थी उन्हें कंपनी से कोई संदेश ही नहीं मिला है। हमें नहीं लगता कि ये कंपनियां 2024 के बैच के लिए आएंगी क्योंकि अभी तो वे पिछले बैच के छात्रों को भी जॉइन नहीं करा पाई हैं।’
बिस्वाल ने कहा कि कॉलेज ने 100 कंपनियों से संपर्क किया है मगर 25 ने ही प्लेसमेंट के लिए आने की बात कही है। ज्यादातर कंपनियां पूरी प्रक्रिया में देर ही कर रही हैं।
महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ ट्रेनिंग ऐंड प्लेसमेंट ऑफिसर्स के अध्यक्ष और पिंपरी चिंचवड एजुकेशन ट्रस्ट के ट्रेनिंग प्लेसमेंट ऑफिसर शीतल कुमार रावंडले इस बात से सहमत हैं कि इस साल का परिदृश्य पिछले साल की तरह बहुत अच्छा नहीं है।
पुणे में चार इंजीनियरिंग कॉलेज का संचालन करने वाला पिंपरी चिंचवड एजुकेशन ट्रस्ट ने इस साल कुल 1,500 छात्रों में से 600 से ज्यादा की नौकरी का इंतजाम कर दिया है।
रावंडले ने कहा, इस साल भी कंपनियां कैंपस में छात्रों की तलाश करेगी, लेकिन इस पर स्पष्टता नहीं कि ऐसा कब होगा। रावंडले जिन मानव संसाधन प्रमुखों के संपर्क में हैं, वे बहुत ज्यादा आशावादी नहीं हैं।
उन्होंने कहा, एचआर प्रमुखों ने हमें बताया है कि इस साल वेतन पर कोई पाबंदी नहीं है और किसी भी कंपनी के साथ प्लेसमेंट करेंगे, जो इच्छुक हो। इसी वजह से हम इस साल के प्लेसमेंट सीजन के लिए 100 से ज्यादा कंपनियों संग काम कर रहे हैं। हालांकि पिछले साल इस समय 125 से ज्यादा कंपनियां थीं।
सांगली के वालचंद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के ट्रेनिंग व प्लेटमेंट ऑफिसर संजय धायगुडे ने कहा, कंपनियां इस साल अग्रणी कॉलेजों की ओर देख रही है और टियर-2 व टियर-3 संस्थानों को टाल रही है। भर्ती करने वाली अहम कंपनियां काफी सतर्क हैं। उन्होंने कहा कि वे कैंपस आएंगे, लेकिन सतर्कता के साथ काम करेंगे। पिछले साल भी इन्फोसिस ने यहां का दौरा नहीं किया था।
उन्होंने कहा कि कंप्यूटर साइंस विभाग के 100 छात्रों में से 60 का प्लेसमेंट हो चुका है। आईटी में 73 में से 40 को नौकरी मिल चुकी है। पिछले साल यह संख्या थोड़ी ज्यादा थी। उन्होंने कहा, आईटी व कंप्यूटर साइंस का प्लेसमेंट अन्य इंजीनियरिंग स्ट्रीम मसलन मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल से बेहतर रहा। इस साल ट्रेंड में बदलाव हो रहा है।
उत्तर भारत के संस्थान भी ऐसा ही परिदृश्य देख रहे हैं। नोएडा, उत्तर प्रदेश की प्राइवेट यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने कहा, हमें उम्मीद है कि कंपनियां एक या दो महीने बाद कैंपसों का रुख करेगी। अभी इन्फोसिस, एचसीएल टेक और कैपजेमिनाई समेत अग्रणी ब्रांडों ने छात्रों की भर्ती नहीं की है और कैंपस नहीं पहुंची है।
अनिश्चितता के बीच स्टार्टअप भी इसमें जगह पा रही हैं, हालांकि इस क्षेत्र में भारी छंटनी की वजह से विश्वविद्यालय इसके हक में नहीं होते थे। अधिकारी ने कहा, पहले स्टार्टअप व छोटी कंपनियों को पहले दिन के बाद इजाजत मिलती थी। लेकिन इस साल हमने स्टार्टअप को आमंत्रित करना शुरू कर दिया है।
प्राइवेट यूनिवर्सिटी के एक बीटेक छात्र ने कहा, बड़ी कंपनियों के दूर रहने की खबर से उनके बीच चिंता पैदा हुई है। जब बड़ी कंपनियां कैंपस भर्ती में कटौती करती है तो इसका निश्चित रूप से हमारे मनोबल पर असर होता है क्योंकि उनकी तरफ से नियुक्ति काफी ज्यादा होती है।
टैलेंट सॉल्युशंस फर्म एनएलबी सर्विसेज के मुख्य कार्याधिकारी सचिन अलघ ने कहा, कैंपस में सबसे ज्यादा उदार नियोक्ता माने जाने वाले आईटी नियोक्ताओं ने इस साल वापसी कर ली है।
अलघ ने कहा, दक्षिणी क्षेत्रों के टियर-2 व टियर-3 इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों के लिए नौकरी तलाशना साल 2023 में सबसे मुश्किल वर्षों में से एक हो सकता है। इंजीनियरिंग कॉलेजों ने इस साल कैंपस प्लेसमेंट में पेशकश 2022 की तुलना में कम से कम 20 फीसदी की कमी दर्ज की है।
इस साल उत्तीर्ण होने वाले छात्रों पर एक असामान्य सवाल निराशा में और इजाफा कर रहा है। इसकी वजह यह है कि साल 2024 में उत्तीर्ण हो रहे छात्र कोविड बैच का हिस्सा हैं, जिन्होंने अपने अकेडमिक सत्र का ज्यादातर समय घर में बिताया है।
एक ट्रेनिंग व प्लेसमेंट ऑफिसर ने कहा, अगर किसी खास कंपनी ने पिछले साल 30 छात्रों को नियुक्त किया था तो इस साल यह संख्या घटकर 4 या 5 पर आ गई है। उन्होंने ने सिर्फ नियुक्ति का लक्ष्य घटाया है बल्कि छात्रों का प्रदर्शन भी उन्हें कुछ असहजता प्रदान कर रहा है।
उन्होंने कहा, हमने कभी भी छात्रों की दक्षता या प्रदर्शन का स्तर नीचे जाने की उम्मीद नहीं की थी। वर्चुअल क्लास वाले शुरुआती सेमेस्टर के कारण छात्र अपने शिक्षकों से नहीं जुड़ पाए।
उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, कैंपस से 18,000 छात्रों की नियुक्ति का लक्ष्य लेकर चलने वाली एक्सेंचर नियुक्ति के पहले दौर में अभी तक 3,000-3,500 छात्रों को ही नियुक्त कर पाई है।
एक छात्रा निकिता देशपांडे ने कहा, लॉकडाउन के दौरान हम समस्याओं या कोडिंग चैप्टर पर अपने बैचमेट से चर्चा नहीं कर पाए। जब हमने ऑनलाइन क्लास शुरू की तो अन्य छात्रों के साथ हमारी कोई बातचीत नहीं होती थी। जिसके पास प्रोग्रामिंग का आइडिया था, उन्होंने जल्दी ही रफ्तार पकड़ी, बाकी पीछे रह गए। हममें से ज्यादातर का भरोसा यूट्यूब, यूडेमी, कोर्सएरा व अन्य लर्निंग प्रोग्राम पर रहा। प्लेसमेंट ऑफिसर ने कहा कि फर्मों ने इस साल की चयन प्रक्रिया ज्यादा सख्त बना दी है।