भारतीय प्रतिभाओं का देश से पलायन को रोकने की दिशा में आज एक ठोस कदम उठाया गया। आईआईटी बंबई के बी टेक और दोहरे डिग्री प्रोग्राम के छात्र अब इंटर्नशिप पर विदेश नहीं जा सकेंगे।
यह नियम सत्र 2008-09 के छात्रों पर लागू होगा। संस्थान ने अब घरेलू कंपनियों में इंटर्नशिप को अनिवार्य बना दिया है। इसका मतलब कि अगर छात्र इस संस्थान से डिग्री चाहते हैं तो उन्हें किसी भारतीय कंपनी में इंटर्नशिप करनी होगी।
बी टेक चार वर्षीय पाठयक्रम है जबकि, दोहरे डिग्री पाठयक्रम में पांच साल लगते हैं। इन दोनों ही पाठयक्रमों के लिए आठ हफ्ते का इंटर्नशिप अनिवार्य है जो छात्रों को तीसरे और चौथे वर्ष के आखिर में करना पड़ता है। फिलहाल आईआईटी बंबई में बीटेक के करीब 1,335 और दोहरे डिग्री पाठयक्रम के 1,065 छात्र-छात्राएं हैं, जिनमें से 60 फीसदी से भी अधिक इंटर्नशिप के लिए विदेश जाना पसंद करते हैं।
ये आगे चलकर या तो पीएचडी करते हैं या फिर शोध संबंधी नौकरियों मे जाना पसंद करते हैं या फिर विदेशी कंपनियों के साथ काम करते हैं। इन छात्रों की पसंद जॉर्जिया टेक, मेकगिल ओहियो स्टेट समेत कुछ और विश्वविद्यालय हैं तो माइक्रोसॉफ्ट, सुजूकी मोटर्स पसंददीदा कंपनियां हैं।
आईआईटी बंबई के निदेशक अशोक मिश्रा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम चाहते हैं कि हमारे छात्र भारतीय इंजीनियरिंग कंपनियों का माहौल भी देखें। साथ ही हम यह भी चाहते हैं कि देश के उद्योग जगत को भी यह पता चले कि हमारे छात्र कितने काबिल हैं। इसलिए हमने यह निर्णय लिया है कि अगर छात्रों को डिग्री चाहिए तो उन्हें अनिवार्य रूप से भारतीय कंपनियों में इंटर्नशिप करनी होगी।’
मिश्रा ने कहा कि भारतीय कंपनियों में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब उद्योग जगत से हमारे छात्रों के बारे में पूछा जाता है तो उनका कहना होता है कि आईआईटी के बीटेक के छात्र इन कंपनियों में दिलचस्पी ही नहीं रखते।
उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखकर भारतीय कंपनियों में अनिवार्य इंटर्नशिप का फैसला लिया गया है। हालांकि मिश्रा ने बताया कि बीटेक के ऐसे छात्र जो दूसरे वर्ष के आखिर में विदेश में इंटर्नशिप की इच्छा रखते हैं उन्हें इसकी अनुमति दी जाएगी। पर तीसरे साल में उनके लिए घरेलू कंपनी में इंटर्नशिप अनिवार्य रहेगा।