भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं आईटी आधारित सेवा (आईटीईएस) क्षेत्र को अपने मौजूदा लागत मध्यस्थता मॉडल से नवोन्मेष इंजन के तौर पर बदलाव लाना होगा और इसके साथ ही क्लाउड सिस्टम में तुरंत तब्दील होनी होगी और लगातार वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए नेटवर्क में सुरक्षा बढ़ानी होगी। एयरटेल बिजनेस ने अपने श्वेत पत्र में ऐसा कहा है।
तेजी से उभरती प्रौद्योगिकी, तगड़ी प्रतिस्पर्धा और मांग में बदलाव के कारण बाजार के रुझान में बदलाव आ रहे हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा देखे गए श्वेत पत्र में कहा गया है कि आईटी क्षेत्र के लिए अब महज लागत मध्यस्थता और घरेलू स्तर पर मौजूद संसाधनों पर निर्भर रहना संभव नहीं है। आईटी/आईटीईएस क्षेत्र फिलहाल देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7 फीसदी योगदान देता है और साल 2026 तक इसके 10 फीसदी होने की उम्मीद है।
श्वेत पत्र में कहा गया है कि आईटी और आईटीईएस कंपनियां क्लाउड परिवेश तैयार कर बड़ी संख्या में संगठनों की मदद करती हैं। मगर 80 फीसदी आईटी और आईटीईएस कंपनियों के साल 2027 तक अपने 90 फीसदी कार्यभार को क्लाउड पर स्थानांतरित करने की उम्मीद है। यह श्वेत पत्र आईसीटी बाजार पर नजर रखने वाली एक विश्लेषक फर्म थिंकटील के सहयोग से तैयार की गई है। सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं की बढ़ती लागत भी अधिक कंपनियों को निजी क्लाउड परिवेश में डेटा वापस हासिल करने के लिए बढ़ावा दे रही है, जो बुनियादी ढांचे पर अधिक नियंत्रण रखने की भी अनुमति देती है।
हालांकि, श्वेत पत्र में यह भी चेताया गया है कि पुराने सिस्टम के साथ क्लाउड समाधानों को शामिल की प्रक्रिया संसाधन-गहन बनी हुई है। इसने क्लाउड लागत प्रबंधन टूल, केंद्रीकृत क्लाउड गवर्नेंस प्लेटफॉर्म और सार्वजनिक निजी क्लाउड सेटअप के उपयोग की सिफारिश की है। मगर इन बदलावों से संभावित उल्लंघनों और अनधिकृत पहुंच से उत्पन्न होने वाली डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सहित कई बातों पर चिंता भी जताई गई है। श्वेत पत्र में कहा गया है कि साल 2023 में भारत में सभी साइबर हमलों में से 15 फीसदी का मकसद पहले से ही आईटी और आईटीईएस क्षेत्र को बनाया गया था।