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रक्षा क्षेत्र में ऑफसेट उपनियम से परेशान न हों: एंटनी

Last Updated- December 07, 2022 | 2:01 AM IST

भारत ने सैनिक खरीद के संबंध में ऑफसेट उपनियम के बारे अंतरराष्ट्रीय रक्षा विनिर्माताओं के भय को यह कह कर दूर करने का प्रयास किया है कि यह प्रावधान उद्योग और संभावित विक्रेताओं के बीच की दूरी पाटने के लिए है।


इसका उद्देश्य यह है कि विदेशी निजी कंपनियों को संयुक्त विनिर्माण के लिए लाइसेंस मिल सके। बर्लिन एयर शो की पूर्व संध्या पर रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा कि खरीद की नीतियां सुनिश्चित की गई हैं और ये पारदर्शी हैं। इन नीतियों के तहत कुछ अनुबंधों के 30 फीसदी हिस्से को ऑफसेट करने की जरूरत है।

एंटनी ने कहा ‘यह भारतीय रक्षा उद्योग और संभावित विक्रेताओं के बीच पुल के तौर पर काम करेगा ताकि निजी उद्योग को रक्षा उत्पादों के विनिर्माण के लिए औद्योगिक लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिले।’

क्या है ऑफसेट नियम?

ऑफसेट नियम के तहत किसी भी किस्म की रक्षा निविदा हासिल करने वाली कंपनियों को अनुबंध के 30 फीसदी हिस्से का निवेश भारत में करना होगा। कंपनी को 126 लड़ाकू जहाज का अनुबंध मिलता है तो उसे इस उपनियम के तहत 50 फीसदी हिस्से का निवेश भारत में करना होगा। मंत्री का बयान उस वक्त आया है जब कुछ कंपनियां 50 फीसदी ऑफसेट के नियम को पूरा करने में अपनी असमर्थता जाहिर कर रही हैं। 

एंटनी ने कहा ‘ये नीतियां न सिर्फ हमारी जमीनी, हवाई और जल रक्षा उपकरणों के उत्पादन की योग्यता बढ़ाने के लिए बनाई गई हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय विनिर्माताओं के साथ सह-उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी किया गया है।’

First Published - May 27, 2008 | 11:26 PM IST

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