इसमें कोई शक नहीं कि उपभोक्ता उत्पाद की वस्तुओं (एफएमसीजी) का निर्माण करने वाली कंपनियां टेलीविजन, ऑउटडोर और प्रिंट जैसे परंपरागत विज्ञापन माध्यमों का बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करती हैं।
लेकिन हाल-फिलहाल के रुझानों पर नजर डालें तो पता चलता है कि एफएमसीजी कंपनियां अब डिजिटल माध्यमों की ओर तेजी से रुख कर रही हैं। एफएमसीजी कंपनियां अपने कुछ ब्रांडों के प्रमोशन के लिए बड़े बजट का इस्तेमाल कर रही हैं।
हालांकि एफएमसीजी कंपनियों द्वारा विज्ञापन पर किए जाने वाले कुल बजट आवंटन का 1-2 फीसदी हिस्सा ही अभी भी डिजिटल माध्यमों के लिए खर्च किया जाता है, लेकिन उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि एफएमसीजी कंपनियों को इस बात का एहसास हो गया है कि ऑनलाइन उपभोक्ताओं की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है इसलिए ऑनलाइन विज्ञापनों का बाजार वास्तव में विकास करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन तेजी से उभरता हुआ माध्यम है। स्टारकॉम मीडिया वेस्ट ग्रुप के उत्तर और दक्षिण एशिया के मुख्य डिजिटल अधिकारी पुष्कर साने ने बताया कि अगले 18 महीनों में भारत में ऑनलाइन विज्ञापन बजट खर्चों में बढ़ोतरी होगी।
उन्होंने बताया कि यह बढ़ोतरी वास्तव में 1-3 फीसदी से बढ़कर लगभग 10 फीसदी तक पहुंच जाएगी। ऑनलाइन विज्ञापन बजट में बढ़ोतरी पश्चिमी देशों के तर्ज पर ही होगी। साने ने बताया, ‘इसमें कोई शक नहीं कि चूंकि मार्केटर वभिन्न विज्ञापन माध्यमों का प्रयोग कर रहे हैं और साथ ही उसमें सफल भी हो रहे हैं इसलिए ऑनलाइन विज्ञापन पर निर्भरता बढ़ेगी।’
हालांकि यहां यह सवाल उठता है कि ऐसा क्यों है कि मार्केटर के पास विज्ञापन के नए माध्यमों के प्रयोग के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है? इसके कई कारण गिनाए जा सकते हैं। इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है जिसके पास 50-60 लाख ऑनलाइन उपभोक्ता हैं। यह एक ऐसा माध्यम है जिसे बड़े पैमाने पर 20 से 35 साल के आयु वर्ग के लोग देखते हैं।
ये वे लोग हैं जो मैट्रो और टीयर-1 शहरों में रहते हैं। यही वे पर्याप्त कारण है जिसे कोई भी कंपनी अनदेखी नहीं कर सकती है। ऑनलाइन विज्ञापन का एक ऐसा माध्यम है जिसका इस्तेमाल कोई भी कंपनी अपने उत्पादों को लक्षित उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए कर सकती है। मालूम हो कि हिन्दुस्तान यूनिलीवर, प्रॉक्टर ऐंड गैंबलर, कैडबरी और टाटा टी जैसी कंपनियों ने अपने व्यक्तिगत ब्रांडों के लिए डिजिटल विज्ञापन बजट को बढ़ा दिया है।
भारत की सबसे बड़ी डिजिटल विज्ञापन और तकनीकी कपंनियों में से एक कोमली के मुख्य परिचालन अधिकारी प्रशांत मेहता ने बताया, ‘एफएमसीजी कंपनियां अपने एक या दो ब्रांडों के लिए बजट में इजाफे का प्रयोग कर रही हैं। वास्तव में यह प्रयोग ब्रांडों के खर्च में वृध्दि के जरिये हो रहा है। ब्रांडों के खर्च को 1 फीसदी से बढ़ा कर 3-5 फीसदी तक कर दिया गया है। कुछ श्रेणों में तो खर्च की बढ़ोतरी को 8-10 फीसदी तक कर दिया गया है।’
इस विज्ञापन माध्यम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह एक इंटरैक्टिव माध्यम है और यही वजह है कि उपभोक्ताओं को बहुत ही आसानी से उत्पादों की ओर खींचा जा सकता है। सफल उदाहरण के लिए आप सनसिल्क की सनसिल्कगैंगऑफगर्ल्स डॉट कॉम या फिर मैटल्स की बार्बी डॉट कॉम को देख सकते हैं।
गोवाफेस्ट की इंटरनेट और न्यू मीडिया श्रेणी में कई कंपनियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें एक्स स्प्रे चॉकलेट, कैडबरी की ‘खुशियों के पल डेयरी मिल्क के संग’ और टाटा टी की ‘वन बिलियन वोट’ जैसे कुछ ब्रांड अभियान अव्वल रहे। इसमें से कई ने ब्रांड की सफलता में अहम भूमिका निभाई है।
हालांकि कई एफएमसीजी कंपनियों का कहना है कि देश के सभी क्षेत्रों में इंटरनेट की संपूर्ण पहुंच नहीं होने की वजह से डिजिटल मीडिया सीमित भूमिका अदा करने के लिए है। टाटा टी के कार्यकारी निदेशक संगीता तलवार का कहना है, ‘मास मार्केट ब्रांड के लिहाज से बड़े स्तर पर उपभोक्ता को लक्षित करने के लिए यह माध्यम उपयुक्त नहीं है। यह माध्यम वास्तव में शहरी उपभोक्ताओं, पेशेवरों और गृहिणियों को लक्षित करने वाले ब्रांडों के लिए उपयुक्त है।’
हालांकि अधिकांश लोग इस बात से सहमत नहीं हैं। 141 सेरकॉन (जोकि एक डिजिटल मीडिया मार्केटिंग कंपनी है) के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश घाटगे ने बताया, ‘एफएमसीजी कंपनियों को खुद का माइंडसेट बदलने की जरूरत है। उन्हें ऐसे विज्ञापन माध्यमों का इस्तेमाल करना चाहिए जो बहुत प्रभावशाली हैं।
आमतौर पर एफएमसीजी कंपनियां एक-तरफा संचार (यानी टेलीविजन, प्रिंट) का ही इस्तेमाल करती हैं। मास मीडिया अभियानों को जोड़ने और एक-तरफा संपर्क स्थापित करने के लिए ये कंपनियां टेलीविजन, प्रिंट जैसे परंपरागत माध्यमों का काफी इस्तेमाल करती हैं।’
उन्होंने आगे बताया कि लेकिन इन कंपनियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि ऑनलाइन बहुत तेजी से उभरता हुआ माध्यम है। इस माध्यम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल युवा उपभोक्ता करते हैं जिनकी उम्र 13-30 आयु वर्ग के बीच होती है। ये अपने घरों या फिर स्कूलों में निरंतर इंटरनेट का इस्तेमाल करते रहते हैं।
(साथ में सुवि डोगरा)
