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बिजनेस स्कूल के छात्र शिक्षण की ओर मुड़े

Last Updated- December 11, 2022 | 12:11 AM IST

आर्थिक मंदी ने कई छात्रों को नौकरियों के अभाव की वजह से उद्यमशीलता के प्रति कदम बढ़ाने को बाध्य किया है।
हालांकि कुछ ऐसे भी छात्र हैं जो शिक्षण को करियर के रूप में तवज्जो दे रहे हैं। इन छात्रों का मानना है कि यह औद्योगिक क्षेत्र के समान ही एक लाभप्रद पेशा है।
भारतीय प्रबंधन संस्थान-लखनऊ (आईआईएम-एल) के लगभग 20 छात्रों ने पीएचडी का चयन किया है। आईआईएम-एल के एक छात्र ने बताया, ‘शिक्षण के प्रति छात्रों की दिलचस्पी बढ़ गई है और इसे लेकर रुझान काफी सकारात्मक है।’
इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (आईएमटी), गाजियाबाद में भी ऐसा ही चलन देखने को मिल रहा है। संस्थान पूर्णकालिक और अंशकालिक पीएचडी पाठयक्रम चलाता है। आईएमटी गाजियाबाद और नागपुर के निदेशक अनवर अली ने कहा, ‘हमने देखा है कि पीएचडी से जुड़े छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है।’
हालांकि सभी संस्थानों में ऐसा रुझान नहीं है। आईआईएम कोझिकोड (आईआईएम-के) में पीएचडी के चयन का एक भी मामला सामने नहीं है। हालांकि इस संस्थान में ऐसे कुछ छात्र अवश्य हैं जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में स्वयं के लिए करियर तलाशने की इच्छा प्रकट की है।
आईआईएम-के से एक छात्र ने बताया, ‘चूंकि ज्यादातर छात्रों ने अपने एमबीए कोर्स के लिए बैंक से ऋण लिया है, इसलिए कर्ज चुकाना उनकी प्राथमिकता है। इस जरूरत को ध्यान में रख कर छात्रों ने शिक्षा क्षेत्र से जुड़ने से पहले औद्योगिक जगत में काम की संभावनाएं तलाशी हैं।’
संस्थान ‘फेलोशिप प्रोग्राम इन मैनेजमेंट’ (एफपीएम) चलाता है। यह प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में डॉक्टरेट अध्ययन कार्यक्रम है जो भावी शिक्षकों को तैयार करता है। मौजूदा समय में, इसके दूसरे वर्ष के पाठयक्रम में दोनों बैच में 11 छात्र हैं जो इस कोर्स पर विचार कर रहे हैं।
एक अन्य छात्र ने कहा, ‘आईआईएम-के के एफपीएम का उद्देश्य शैक्षिक संस्थानों के लिए शीर्ष गुणवत्ता वाले शोधकर्ताओं और फैकल्टी संसाधन को तैयार करना है। इन शैक्षिक संस्थानों में आईआईएम भी शामिल हैं।
आईआईएम-के ने भारत और विदेश में व्यावसायिक संगठनों, सरकार और सोसायटी आदि के लिए शीर्ष गुणवत्ता वाले प्रबंधन विशेषज्ञ और विचारकों के प्रमुख स्रोत के रूप में उभरने की परिकल्पना तैयार की है।’
दिल्ली के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एफएमएस) में छात्र अभी शिक्षण को करियर के रूप में अपनाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इस संस्थान के छात्र विभिन्न कंपनियों में नौकरी पा चुके हैं और उनका मानना है कि कॉरपोरेट जगत में काम करने के 10 वर्ष बाद ही शिक्षण को अपनाया जा सकता है।
आईआईएम-एल के निदेशक देवी सिंह कहते हैं, ‘न सिर्फ हम इन छात्रों को प्रोत्साहित कर रहे हैं बल्कि ये छात्र स्वयं भी टीचिंग यानी शिक्षण में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हमारे पीएचडी कार्यक्रमों को लेकर अच्छा रुझान देखा जा रहा है, हालांकि यह बदलाव मौजूदा आर्थिक मंदी की वजह से ही देखा जा रहा है। अगर आर्थिक परिवेश सकारात्मक बनता है तो इन छात्रों का विचार भी बदलेगा और फिर वे शिक्षण का चयन नहीं कर सकेंगे।’

First Published - April 13, 2009 | 3:01 PM IST

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