facebookmetapixel
भारत बन सकता है दुनिया का सबसे बड़ा पेड म्यूजिक बाजार, सब्सक्रिप्शन में तेज उछालYear Ender 2025: महाकुंभ से लेकर कोल्डप्ले तक, साल के शुरू से ही पर्यटन को मिली उड़ानYear Ender 2025: तमाम चुनौतियों के बीच सधी चाल से बढ़ी अर्थव्यवस्था, कमजोर नॉमिनल जीडीपी बनी चिंताYear Ender 2025: SIP निवेश ने बनाया नया रिकॉर्ड, 2025 में पहली बार ₹3 लाख करोड़ के पारकेंद्र से पीछे रहे राज्य: FY26 में राज्यों ने तय पूंजीगत व्यय का 38% ही खर्च कियाएनकोरा को खरीदेगी कोफोर्ज, दुनिया में इंजीनियरिंग सर्विस सेक्टर में 2.35 अरब डॉलर का यह चौथा सबसे बड़ा सौदाकिराया बढ़ोतरी और बजट उम्मीदों से रेलवे शेयरों में तेज उछाल, RVNL-IRFC समेत कई स्टॉक्स 12% तक चढ़ेराजकोषीय-मौद्रिक सख्ती से बाजार पर दबाव, आय सुधरी तो विदेशी निवेशक लौटेंगे: नीलकंठ मिश्र2025 में टेक IPO बाजार की वापसी: मुनाफे के दम पर पब्लिक मार्केट में लौटा स्टार्टअप उत्साहडीमैट की दूसरी लहर: नॉन-लिस्टेड कंपनियों में इलेक्ट्रॉनिक शेयरों का चलन तेज, इश्यूर की संख्या 1 लाख के पार

मंदी और आईटी की मार से खस्ता बीपीओ उद्योग

Last Updated- December 08, 2022 | 5:07 AM IST

बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) कंपनियां इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रही हैं।


वैश्विक आर्थिक मंदी के साथ-साथ अब उन्हें इस बात की भी चिंता सताने लगी है कि कारोबार के सिलसिले में प्रमुख भारतीय और वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों को अधिक तरजीह मिल रही है।

इसकी अहम वजह यह भी है कि बीपीओ कंपनियों के बजाय आईटी कंपनियों की दुनियाभर में अधिक पहुंच है। साथ ही आईटी कंपनियां अपने ग्राहकों को उनके पास सीधे पहुंच कर भी सेवाएं दे रहे हैं, जिसमें बीपीओ सेवाएं भी शामिल हैं।

देश की सबसे बड़ी आईटी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने हाल में 2,400 करोड़ रुपये से अधिक रकम में सिटीग्रुप के बैक-ऑफिस परिचालान कार्य का अधिग्रहण कर लिया है। इस दौड़ में सिर्फ बीपीओ कारोबार से जुड़ीं जेनपैक्ट और फर्स्टसोर्स भी शामिल थीं।

केपीएमजी के आईटी सलाहकारों के प्रमुख अखिलेश टुटेजा का कहना है, ‘आईटी कंपनियों के लिए किसी कंपनी के एक खास हिस्से का अधिग्रहण कर अन्य कंपनियों के लिए सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी में तब्दील करना नई बात नहीं है।

पिछले 6 से 7 वर्षों से इस चलन को देखा जा रहा है, लेकिन मौजूदा समय में यह काफी अहम है, क्योंकि आईटी और बीपीओ कंपनियों के ऑफशोर मॉडल पर आधारित एक ही जैसे ग्राहक हैं।’

टीसीएस इकलौती आईटी कंपनी नहीं है, जिसने बीपीओ फर्म खरीदी हो। देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी सेवाएं देने वाली कंपनी विप्रो ने क्वांत्रो से लगभग 875 करोड़ रुपये में स्पेक्ट्रामाइंड ई-सर्विसेज को खरीदा था।

इन्फोसिस टेक्नोलॉजिज, सत्यम कंप्यूटर और एचसीएल टेक्नोलॉजिज की अपनी अलग बीपीओ शाखाएं भी हैं। सत्यम ने निपुण का अधिग्रहण किया था जो बाद में उसकी बीपीओ कंपनी बन गई। एचसीएल टेक ने डयूश बैंक के एक हिस्से का अधिग्रहण किया और अब वह एचसीएल बीपीओ है।

विशलेषकों का कहना है कि इन दोनों कारोबारों में समानता होने के कारण आईटी कंपनियां उसी बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल कर सकती हैं और अपने ग्राहकों को बीपीओ सेवाएं देने के लिए समान संसाधनों को लगा सकती हैं।

इस नए चलन से न सिर्फ आईटी कंपनियों को लाभ पहुंचेगा, बल्कि ग्राहकों को भी किफायती दामों पर सेवाएं मिलेंगी। वे कर्मियों पर खर्च में बचत कर सकते हैं, क्योंकि आईटी कंपनियां उन्हें एक ही वक्त में बीपीओ सेवाओं के साथ आईटी सेवाएं भी मुहैया करा सकती हैं।

एक अनुसंधान और सलाहदाता फर्म थॉल्सन की प्रमुख अधिकारी वीनू बी का कार्था का कहना है, ‘बीपीओ आईटी कंपनियों की विस्ता है, क्योंकि आईटी बिजनेस प्रोसेस की तरह है। आईटी कंपनियां अपने लोगों के कौशल का इस्तेमाल बड़े स्तर पर कर सकती है।

वे आईटी सेवाओं के साथ बीपीओ का पैकेज दे सकती हैं। सभी पहले दजॅ की आईटी प्रदाता कंपनियां अपनी बीपीओ कंपनियों के साथ अच्छे प्रदर्शन कर रही हैं और अन्य इसके लिए खुद को मजबूत करने पर ध्यान दे रही हैं।

First Published - November 25, 2008 | 10:32 PM IST

संबंधित पोस्ट