बॉलीवुड की सफलता का मार्च पिछले महीने बिल्कुल ही थम गया।
मार्च के महीने में बॉलीवुड की फिल्मों से केवल 60 करोड़ रुपये की कमाई हो सकी, जो पिछले 3 साल में इस महीने का सबसे कम आंकड़ा है। आम तौर पर जबकि आम तौर पर बॉलीवुड की फिल्में महीने भर में औसतन 110 करोड़ रुपये की कमाई कर लेती हैं।
इससे पहले मई 2008 में बॉलीवुड की केवल 90 करोड़ रुपये की कमाई हो पाई थी। उस वक्त कमाई घटने की वजह देश में चल रहे इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) को बताया जा रहा था।
जानकारों का मानना है कि बॉलीवुड की कमाई में मार्च के मुकाबले अभी 15 से 20 फीसदी की कमी और आ सकती है। इसके चलते देश भर में चले रहे 250 से भी ज्यादा मल्टीप्लेक्सों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है और अगर इसी तरह के हालात जून तक चलते रहे तब तक इनको 200 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ सकता है।
बॉलीवुड की इस दुर्दशा के पीछे दर्शकों की बेरुखी का बड़ा हाथ है। दरअसल मल्टीप्लेक्स मालिकों और फिल्म निर्माताओं के बीच कमाई को लेकर चल रही तकरार की वजह से नई फिल्में थियेटरों का मुंह नहीं देख पा रही हैं ऐसे में थियेटरों में बमुश्किल 20 फीसदी सीटें ही भर पा रही हैं।
एक मल्टीप्लेक्स में सामान्य तौर पर 160 से 200 सीटें होती हैं। अगर थियेटरों में 75 से 95 फीसदी दर्शक हों तभी उसमें दिखाई जा रही फिल्म सफल मानी जाती है। देश भर में 19 मल्टीप्लेक्स चलाने वाली कंपनी फन सिनेमाज के मुख्य परिचालन अधिकारी विशाल कपूर कहते हैं, ‘यह दौर मल्टीप्लेक्स कारोबार के लिए बेहद खराब है। नई फिल्में रिलीज न होने की वजह से कम से कम दो महीने और हम लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।’
जानकारों के मुताबिक आकार और लोकेशन के हिसाब से किसी मल्टीप्लेक्स की मासिक परिचालन लागत 40 से 50 लाख रुपये के करीब बैठती है। जबकि मल्टीप्लेक्स की कमाई 1 से 1.25 करोड़ रुपये के आसपास बैठती है। खाने-पीने की चीजों से भी मल्टीप्लेक्स को मोटी कमाई होती है।
मार्च और अप्रैल में मल्टीप्लेक्सों की कमाई में 20 से 25 लाख रुपये तक की कमी आ चुकी है। फिलहाल मल्टीप्लेक्स मालिकों की उम्मीदें साल के बचे हुए महीनों पर टिकी हुई हैं जिनमें रिलीज होने वाली बढ़िया फिल्मों के जरिये कमाई कर वे अपने घाटे की भरपाई कर सकें।
भारी पड़ा महीना
पिछले तीन साल में मार्च में हुई सबसे कम कमाई
एक महीने में औसतन 110 करोड़ के मुकाबले महज 60 करोड़ रुपये की हुई कमाई
नई फिल्में रिलीज न होने से दूर रहे दर्शक
मल्टीप्लेक्स और फिल्म निर्माताओं में टकराव से लटका फिल्मों का प्रदर्शन
