डाबर ने अपने च्यवनप्राश के लिए अमिताभ बच्चन के साथ एक युवा चेहरा रखने के लिए लोगों से उनकी राय मांगी कि आखिर ऐसी कौन-सी युवा शख्सियत है जो आंतरिक मजबूती और नेतृत्व के मूल्यों पर खरी उतरती हो।
ज्यादातर लोगों का जवाब महेंद्र सिंह धोनी था और तभी डाबर ने च्यवनप्राश के लिए युवा एंबेसडर के रूप में माही को चुना। डाबर इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी उपाध्यक्ष- मार्केटिंग (हेल्थकेयर) के के राजेश का कहना है, ‘यही वे मूल्य हैं जो डाबर च्यवनप्राश के साथ जुड़े हुए हैं। जो दो नाम इस ब्रांड के लिए उभर कर सामने आए, वे हैं अमिताभ बच्चन और महेंद्र सिंह धोनी।’
कई दूसरे ब्रांड बीच के रास्ते को लांघ कर लंबे समय से उत्पाद के साथ बने हुए ब्रांड एंबेसडर को हटाकर नए चेहरे को ब्रांड के साथ जोड़ने को ठीक नहीं मानते। कई मामलों में तो ये एंबेसडर उम्र के लिहाज से काफी छोटे नजर आए।
लेकिन यह काफी आसान नहीं है। किसी को भी ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए ब्रांड मूल्यों का भी ध्यान रखना चाहिए। ओगिल्वी ऐंड मैथर इंडिया के कार्यकारी अध्यक्ष और नैशनल क्रिएटिव डाइरेक्टर पीयूष पांडे का कहना है, ‘अगर कोई ब्रांड एंबेसडर उत्पाद के मूल्यों से आगे निकल जाता है, तब एंबेसडर को बदलना काफी जरूरी हो जाता है।’
बीबीएच के मैनेजिंग पार्टनर सुभाष कामत के मुताबिक ब्रांड के संवाद को ताजा करने के लिए एंबेसडरों को बदलने की जरूरत होती है। इसके लिए उन्होंने टाटा टी के ताज अभियान का उदाहरण दिया, जिसमें जाकिर हुसैन पिछले 15 साल से हैं। ‘जाकिर के साथ जुड़ने की वजह से ब्रांड एक ही जगह ठहर गया था और अपनी इस छवि को तोड़ कर बाहर निकलने के लिए काफी लंबा वक्त लग गया।’
कई ब्रांडों ने नई पीढ़ी के लोकप्रिय चेहरों जैसे रणबीर कपूर, जॉन अब्राहम, कैटरीना कैफ, दीपिका पादुकोणे और धोनी को चुना है। विशेषज्ञों का कहना है कि निश्चित रूप से लोकप्रिय चेहरों को ब्रांड के साथ जोड़ने से अभियान में नई जान फूंकी जा सकती है, लेकिन यह याद रखने की जरूरत है कि शख्सियतों को एंबेसडर बनाना अंत के लिए एक माध्यम हैं।
आमतौर पर किसी शख्सियत को ब्रांड के लिए साख बनाने और चाहत जगाने के लिए सामने लाया जाता है, लेकिन ये शख्सियत ऐसी होनी चाहिए जो ब्रांड के साथ एकदम उपयुक्त हो। हरीश बिजूर कंसल्ट्स के ब्रांड- रणनीति के विशेषज्ञ एवं मुख्य कार्याधिकारी हरीश बिजूर का मानना है कि एक ब्रांड के लिए कई एंबेसडर का नया चलन विक्रेताओं की बदले की भावना को दिखाता है।
उनका कहना है, ‘वैश्विक छवि वाले शख्स तो अब हैं नहीं और एक ही समय में लगभग 30 ब्रांडों से जुड़े शाहरुख और अमिताभ ने एक ब्रांड के लिए एक सितारे के चलन को खत्म कर दिया है।’ अगर उनमें से किसी एक को ब्रांड को छोड़ना पड़ जाए, तो भी ब्रांड के साथ कई चेहरे तब भी बने रहेंगे और उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। शाहरुख खान अब पेप्सिको के यंगिस्तान अभियान का हिस्सा नहीं हैं।
और न ही सचिन तेंदुलकर जो कई साल पहले पेप्सी के लिए शाहरुख खान के साथ ब्रांड एंबेसडर थे। अब यंगिस्तान पर धोनी और पादुकोणे के साथ जूनियर कपूर का कब्जा है। पेप्सिको के ब्रांड एंबेसडर में सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की जगह उभरते हुए क्रिकेट खिलाड़ियों इशांत शर्मा और रोहित शर्मा ने ले ली है।
पैंटीन शैम्पू के विज्ञापन में सुष्मिता सेन के स्थान पर कैटरीना कैफ और आभूषणों के ब्रांड नक्षत्र में ऐश्वर्या राय दिखाई देने लगी हैं। फैंटा के ताजातरीन ऐपल फ्लैवर में रानी मुखर्जी की जगह जेनीलिया डीसूजा ने ले ली है। डाबर के राजेश का कहना है, ‘एक अच्छे ब्रांड अभियान के विचार और ब्रांड के संदेश व शख्सियत के बीच सच्चा तालमेल अभियान की सफलता के लिए जरूरी है।’
शायद यही वजह है कि डाबर को लगा कि डाबर च्यवनप्राश और डाबर हनी के साथ धोनी की जोड़ी काफी बढ़िया रहेगी। उनका कहना है, ‘धोनी तंदरुस्त शरीर और तेज दिमाग के लिहाज से एकदम फिट हैं, जो डाबर च्यवनप्राश के लाभ का मर्म है। इसलिए ब्रांड और उसका आइडिया धोनी के व्यक्तित्व से एकदम मेल खाते हैं।’
हालांकि ग्राहकों के साथ किसी एंबेसडर के वर्षों के जुड़ाव को एक झटके से खत्म नहीं किया जा सकता। पेप्सी ने अपने ब्रांड से लंबे अरसे से जुड़े शाहरुख खान को हटाने से पहले विज्ञापनों में उन्हें रणबीर और दीपिका के साथ दिखाया है। कंपनी ने कुरकुरे के तहत एक नए ब्रांड को लॉन्च करने के लिए करीना कपूर को जोड़ा है, जबकि कुरकुरे की पुरानी एंबेसडर जूही चावला को अब भी ब्रांड से अलग नहीं किया गया।
पेप्सी से जुड़े जेडब्ल्यूटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रोहित ओहरी का कहना है, ‘कुरकुरे परिवार से हम जूही को अलग नहीं कर सकते।’ उम्मीद यह भी जताई जा रही है कि खान को पेप्सी के साथ वापस लाया जाएगा। ओहरी का कहना है, ‘हम कॉर्पोरेट स्तर पर शाहरुख को साथ में जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।’
आमतौर पर किसी भी ब्रांड के लिए उभरते हुए अदाकारों या क्रिकेट खिलाड़ियों निर्णय लेने की बात है। कामत का कहना है, ‘यह बिल्कुल संगीत उद्योग या किसी फिल्म के लिए अभिनेताओं का चुनाव करने की प्रक्रिया की तरह है, जहां आप अपने विवेक का साथ देते हैं।’ यहां तक कि अपने करियर की शुरुआत में अमिताभ बच्चन की तरह ही बीटल्स को भी नापसंद किया गया था।
किसी के साथ जुड़ना विचारों का खेल है। पेप्सिको के प्रवक्ता का कहना है, ‘हमारा हर ब्रांड एंबेसडर, ब्रांड की छवि का मूर्त रूप है और वे ब्रांड से जुड़ी विशेषताओं की ही मिसाल हैं। वे युवाओं के साथ न सिर्फ एक बड़ी चाहत से जुड़े हैं, बल्कि वे लाखों लोगों के सपनों का आईना भी हैं।’
