facebookmetapixel
द ब्लूप्रिंट डिस्कोर्सनेपाल में आईटीसी की रणनीति नहीं रुकेगी, होटल और FMCG विस्तार पर फोकसVodafone Idea AGR case: वोडाफोन आइडिया मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- ‘कोई समाधान निकालना होगा’‘डे जीरो’ से शुरू हुआ Urban Company का IPO सफर, CEO ने साझा की रणनीतिGST कट, मॉनसून के दम पर दौड़ेंगे Auto Stocks! मोतीलाल ओसवाल हीरो, मारुति, ह्युंडै, M&M, AL पर बुलिश; देखें टारगेट्सट्रंप सरकार का सख्त कदम, H-1B वीजा पर लगेगी ₹83 लाख वार्षिक फीस; भारतीयों पर सीधा असरदिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 पर काम करते समय गिरने से 35 वर्षीय मजदूर की मौत, जांच जारीHyundai ने 2030 तक 33 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का रखा लक्ष्य, EV पोर्टफोलियो में बड़े विस्तार की तैयारीनेपाल की उथल-पुथल, भारत के लिए सबक: दक्षिण एशियाई एकीकरण पर पुनर्विचारEditorial: गाजा में इजरायल की दंडमुक्ति – अमेरिकी समर्थन बढ़ती वैश्विक निंदा का प्रतिकार

NBFC के लिए मार्जिन रखना जरूरी: राकेश सिंह

NBFC आरबीआई से जमा लेने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं

Last Updated- October 30, 2023 | 10:32 PM IST
Rakesh Singh, Aditya Birla Finance

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के आला अधिकारियों का कहना है कि NBFC अपना बेहतर वित्तीय प्रोफाइल तैयार करने के लिए मार्जिन पर ध्यान देने के साथ-साथ बहीखाते को दबाव से बचाने के उपाय भी करेंगी भले ही इसके लिए उन्हें अपने ऋण खाते की रफ्तार को थोड़ी धीमी ही क्यों न करनी पड़े।

बिज़नेस स्टैंडर्ड BFSI सम्मेलन में मार्जिन बनाए रखने की चुनौती पर हो रही चर्चा के दौरान श्रीराम फाइनैंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष उमेश रेवणकर ने कहा कि कंपनियों के लिए मार्जिन बेहद जरूरी है क्योंकि इससे ही NBFC को मदद मिलती है।

आदित्य बिड़ला फाइनैंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (एमडी एवं सीईओ) राकेश सिंह ने मार्जिन की अहमियत पर रेवणकर के तर्क का समर्थन करते हुए कहा कि मार्जिन महत्वपूर्ण है और वृद्धि के लिए इसे छोड़ा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर कोई वित्तीय कंपनी, गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं और बेहतर अनुभव दे रही है तो ग्राहक अतिरिक्त भुगतान करने के लिए तैयार होंगे।

इसी चर्चा में टाटा कैपिटल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव सभरवाल ने कहा कि पिछले 12 से 18 महीनों में धन की लागत बढ़ी है लेकिन उनकी कंपनी मार्जिन बनाए रखने में सक्षम रही है क्योंकि कंपनी ने सफलतापूर्वक इस लागत का बोझ ग्राहकों के साथ साझा किया है।

इंडिया रेटिंग्स ने NBFC क्षेत्र की समीक्षा (अक्टूबर 2023) में कहा है कि NBFC को बैंकों और लघु वित्तीय बैंकों के सुरक्षित ऋण क्षेत्र में कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। यह वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में उधारी लागत में वृद्धि को क्रमिक आधार पर रोक सकता है, जिससे वित्त वर्ष 2024 मार्जिन में 20-25 आधार अंकों (सालाना आधार पर) की कमी आ सकती है।

इस कारण NBFC को मार्जिन सुरक्षित रखने के लिए असुरक्षित ऋणों के दायरे से बाहर निकलना पड़ रहा है जिसमें वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों (फिनटेक) के साथ साझेदारी के माध्यम से वृद्धि की रफ्तार बढ़ाई गई है। फंड की लागत के चलते मार्जिन पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए NBFC ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सामने यह मुद्दा रखा है कि NBFC को पूंजी जुटाने की अनुमति देने के लिए अधिक अनुकूल नजरिया अपनाए ताकि जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपायों के साथ-साथ देनदारियों के स्रोतों में विविधता लाने में मदद मिल सके।

जमा लेने वाली कंपनी श्रीराम फाइनैंस के रेवणकर ने कहा कि ब्रांड की प्रतिष्ठा और ग्राहकों को कुछ समय तक दी जाने वाली सेवाएं के आधार पर ही जमाएं मिलती हैं। सावधि जमा मध्यम से लंबी अवधि तक कंपनी में बनी रहती हैं। उनकी कंपनी के लिए कोई परिसंपत्ति देनदारी में अंतर नहीं था क्योंकि ऋण की औसत अवधि 36 महीने थी जो 36 महीने की जमा की औसत अवधि से मेल खाती है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को जमा राशि के मामले को ज्यादा अनुकूल तरीके से देखना चाहिए।

सभरवाल ने देनदारियों के मुद्दे को रेटिंग, प्रशासन मानक, वित्तीय कंपनी के परिचालन दायरे से जोड़ा है। बेहतर रेटिंग और संचालन मानकों वाली कई NBFC को हाल के वर्षों में आईएलऐंडएफएस संकट और डीएचएफएल संकट के दौरान भी फंड जुटाने में कभी कोई दिक्कत नहीं आई।

NBFC को जमा के लिए ग्राहकों से संपर्क करने की अनुमति देने के मुद्दे को आगे रखते हुए राकेश सिंह ने कहा कि फिलहाल NBFC ऋण देकर ग्राहकों से जुड़ती हैं लेकिन देनदारियां बैंकों में जाती हैं। उन्होंने कहा कि यदि NBFC को जमा मिलेगी तो इससे परिसंपत्ति देनदारी प्रबंधन और नकदी के प्रबंधन में मदद मिलेगी।

भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक जमा लेने की अनुमति के साथ NBFC को नया लाइसेंस नहीं दिया है। जमाएं लेने वाली कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (HDFC) के HDFC बैंक में विलय के बाद अब केवल 48 वित्त कंपनियां ही इस क्षेत्र में रह गई हैं जिन्हें जमाएं लेने की अनुमति है।

ऋण वृद्धि की उच्च दर को लेकर बढ़ती चिंताओं का जिक्र करते हुए NBFC के आला अधिकारियों ने कहा कि हाल की तिमाहियों में तेज वृद्धि कोविड महामारी के दौर के बाद आई है जिससे मांग पर असर पड़ा है।

First Published - October 30, 2023 | 10:32 PM IST

संबंधित पोस्ट