कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण वृद्धि की रफ्तार सुस्त पडऩे के साथ ही नकदी संपन्न भारतीय आईटी सेवा कंपनियां विलय-अधिग्रहण के मोर्चे पर काफी आक्रामक दिख रही हैं। ये कंपनियां विलय-अधिग्रहण के जरिये अपनी दक्षता को बेहतर करने और वृद्धि को रफ्तार देने की कोशिश कर रही हैं। इससे उनकी पूंजी आवंटन संबंधी नीतियों में बदलाव का संकेत मिलता है।
विलय-अधिग्रहण सौदों के अलावा बड़े रीबैजिंग सौदे और वैश्विक कंपनियों की निजी इकाइयों की खरीदारी भी इन गतिविधियों में शामिल हैं। भारतीय आईटी कंपनियां ऐसे समय में राजस्व वृद्धि को रफ्तार देने के लिए ऐसा कर रही हैं जब अधिकतर कंपनियों ने वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में क्रमिक आधार पर नकारात्मक राजस्व वृद्धि दर्ज की जिसे पारंपरिक तौर पर आईटी सेवा कंपनियों के लिए एक दमदार तिमाही माना जाता रहा है। इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ एवं बोर्ड सदस्य और एक्सफिनिटी वेंचर पार्टनर्स के चेयरमैन वी बालकृष्णन ने कहा, ‘अधिकतर मांग क्लाउड क्षेत्र से आ रही हैं जिसे भारतीय आईटी कंपनियों को दमदार बनाना होगा। दूसरा, राजस्व वृद्धि एक चुनौति बन गई है जिसे अधिग्रहण के जरिये सहारा दिया जा रहा है। दोनों चीजें हो रही हैं जिनके लिए पूंजी नए सिरे से आवंटित करने की जरूरत होती है।’
शीर्ष चार भारतीय आईटी कंपनियों के पास फिलहाल करीब 15 अरब डॉलर का नकदी भंडार मौजूद है। बाजार की अग्रणी कंपनी टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस) के पास करीब 5.9 अरब डॉलर का नकदी भंडार है जबकि इन्फोसिस के मामले में यह आंकड़ा करीब 3.6 अरब डॉलर का है। इसी प्रकार, विप्रो के पास करीब 3.4 अरब डॉलर का नकदी भंडार उपलब्ध है जबकि एचसीएल टेक्नोलॉजिज के पास 1.75 अरब डॉलर का नकदी भंडार है।
खर्च करने के लिए इतनी बड़ी मात्रा में नकदी उपलब्ध होने के कारण ये कंपनियां इस साल फरवरी से ही विलय-अधिग्रहण के मोर्चे पर काफी सक्रिय हो गई थीं। विप्रो इस क्षेत्र में सबसे अधिक आक्रामक रही है जिसने इसी महीने करीब 10 करोड़ डॉलर की दो कंपनियों के अधिग्रहण की घोषणा की है। इन दोनों सौदों की घोषणा कंपनी के नए सीईओ थियरी डेलापोर्ट द्वारा 6 जुलाई 2020 को कंपनी की कमान संभाले जाने के बाद की गई है।
अजीम प्रेमजी प्रवर्तित कंपनी ने 14 जुलाई को 2.24 करोड़ डॉलर के एक सौदे के तहत ब्राजील की आईटी कंपनी आईवीआईए सर्विसेज डे इन्फॉर्मेटिका के अधिग्रहण की घोषणा की थी। इसी प्रकार, एचसीएल टेक्नोलॉजिज ने मई में 5 करोड़ डॉलर के एक नकद सौदे के तहत सिस्को की सेल्फ-ऑप्टिमाइजिंग नेटवर्क (एसओएन) प्रौद्योगिकी के अधिग्रहणा की घोषणा की थी।
इन्फोसिस ने इसी साल फरवरी में करीब 25 करोड़ डॉलर के एक सौदे के तहत सेल्सफोर्स इंटीग्रेशन कंसल्टैंट सिमप्लस के अधिग्रहण की घोषणा की थी। इन्फोसिस के सीईओ ने इसी महीने वित्तीय नतीजे जारी करने के बाद विश्लेषकों से बातचीत में कहा, ‘हमारे पास संभावित अधिग्रहण के लिए कंपनियों की सूची मौजूद है जिनका फिलहाल आकलन किया जा रहा है।’
आमतौर पर खुद के कारोबार में विस्तार के जरिये आगे बढऩे वाली आईटी कंपनी टीसीएस ने भी एक अन्य संभावित बड़े अधिग्रहण का संकेत दिया है।
