प्रमोद और विनीत मित्तल बंधुओं के नियंत्रण वाली स्टील कंपनी इस्पात इंडस्ट्रीज भारत में अपने संयंत्रों में लौह अयस्क और कोयला की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ग्लोबल स्टील होल्डिंग्स की तीन वैश्विक खदानों में 40 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदेगी।
ग्लोबल स्टील होल्डिंग्स अरबपति लक्ष्मी मित्तल बंधुओं के स्वामित्व वाली कंपनी है। ग्लोबल स्टील की ब्राजील में लौह अयस्क और कोलंबिया एवं मोजांबिक में दो कोयला खदानों में 70 फीसदी की हिस्सेदारी है।
कंपनी वित्त और नियामक जोखिमों से बचने के लिए तीन विशेष उद्देश्य वाली कंपनी (एसपीवी) बना रही है। कंपनी ग्लोबल स्टील के नियंत्रण वाले इन कंपनी में हिस्सेदारी खरीदेगी। लौह अयस्क खदान में तकरीबन 50 करोड़ टन लौह अयस्क होने का अनुमान है वहीं कोयला खदानों में 12 करोड़ टन का कोयला होने की संभावना है।
इस हिस्सेदारी की खरीद से इस भारतीय कंपनी को भारत में उस वक्त कच्चे पदार्थों की अपनी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी जब बढ़ती कीमतों से इसके मार्जिन में कटौती हुई है। पूर्व में जब ग्लोबल स्टील ने खनन के लिए संबद्ध सरकारों के साथ लीज समझौते किए थे तो समूह की योजना अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे पदार्थ बेचने की थी।
सूत्रों के मुताबिक अब इस्पात इंडस्ट्रीज यह महसूस कर रही है कि यदि परियोजनाओं के लिए कच्चा पदार्थ उपलब्ध नहीं हो सका तो उसकी विस्तार योजना में विलंब होगा। इस्पात इंडस्ट्रीज के अधिकारियों ने इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस उद्योग के एक जानकार के मुताबिक, ‘बढ़ रही भाड़ा लागत के बीच कंपनी अपनी वैश्विक खदानों से कच्चा माल भारत लाएगी। लौह अयस्क और कोयला की आयातित लागत में माल भाड़ा लागत की भागीदारी 60 फीसदी है।’
प्रति वर्ष 36 लाख टन स्टील का उत्पादन करने वाली इस्पात इंडस्ट्रीज 2014 तक अपनी क्षमता बढ़ा कर एक करोड़ टन करने की योजना बना रही है। कंपनी अगले दो वर्षों में अपनी क्षमता बढ़ा कर 50 लाख टन किए जाने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। वैश्विक खदानों में 2-3 वर्षों में उत्पादन शुरू होने की संभावना है।
तब तक कंपनी भारत में अपने संयंत्रों के लिए राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) से लौह अयस्क की खरीदारी जारी रखेगी। कंपनी ने पिछले वर्ष एनएमडीसी से 50 लाख टन लौह अयस्क खरीदा था।