कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही इंटर्नशिप योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया अक्टूबर के मध्य से शुरू हो सकती है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि पहले चरण में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिये योजना के पात्र उम्मीदवारों को छांटा जाएगा। इसके बाद ‘तटस्थ समिति’ आवेदकों का चयन करेगी और फिर कंपनियां उस सूची में से अपने यहां इंटर्नशिप कराने के लिए आवेदक चुन सकती हैं। समिति में सरकार और उद्योग के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
सूत्रों ने कहा, ‘योजना के तहत आवेदनों की संख्या देखकर फैसला किया जाएगा कि इस तरह की एक ही समिति बनाई जाए या कई समितियां गठित की जाएं।’
कंपनी मामलों का मंत्रालय पिछले तीन साल के दौरान कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) मद में कंपनियों द्वारा किए गए खर्च के आधार पर शीर्ष 500 कंपनियों की सूची को अंतिम रूप देने में जुटा है। कंपनियां अपनी मर्जी से इस योजना में शामिल हो सकती हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को पेश आम बजट में इंटर्नशिप योजना की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य रोजगार को बढ़ावा देना है। कंपनी मामलों का मंत्रालय इस योजना के लिए सितंबर के अंत तक पोर्टल शुरू कर सकता है।
इस बारे में जानकारी के कंपनी मामलों के मंत्रालय को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
जब कंपनियां पोर्टल पर डाल देंगी कि वे कितने लोगों को इंटर्नशिप करा सकती हैं तब यह योजना आवेदकों के लिए खोल दी जाएगी। आवेदन छांटते समय उन उम्मीदवारों को बाहर कर दिया जाएगा, जो आवेदन के लिए योग्य नहीं हैं जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट, सर्टिफाइड मैनेजमेंट अकाउंटेंट और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) या भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) से डिग्री लेने वाले लोग। अगर आवेदक के परिवार का कोई सदस्य आयकर भरता है या सरकारी कर्मचारी है तो वह भी इस योजना का पात्र नहीं होगा।
सूत्रों ने कहा कि कंपनियां उम्मीदवारों से सीधे संपर्क नहीं कर पाएंगी। जब उम्मीदवार इंटर्नशिप के लिए अर्जी डाल देंगे तो समिति अर्जियों को छांटकर कंपनियों के पास भेजेगी। इंटर्न की हरेक रिक्ति के लिए दो उम्मीदवारों की अर्जी भेजी जाएगी। सूत्रों ने कहा कि इसके बाद कंपनियां अपनी जरूरत के हिसाब से आवेदक चुन सकती हैं या खारिज कर सकती हैं।
सरकार का लक्ष्य इंटर्नशिप योजना के जरिये 5 साल में 1 करोड़ युवाओं को देश की शीर्ष कंपनियों में कौशल प्रदान करना है। योजना के तहत चुने गए युवाओं को 12 महीने वास्तविक कारोबारी माहौल में काम करने का अनुभव मिलेगा और वे कई पेशों को समझ लेंगे। इससे उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे। केंद्र ऐसे उम्मीदवारों को हर महीने 5,000 रुपये वजीफा देगी। साथ ही एकबारगी 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।
कंपनियों को प्रशिक्षण का खर्च खुद उठाना होगा और इंटर्नशिप पर होने वाले कुल खर्च का 10 फीसदी वे सीएसआर कोष से ले सकती हैं। कंपनियां अपनी मर्जी होने पर ही इस योजना का हिस्सा बनेंगी। इस पर होने वाले कुल खर्च का 10 फीसदी सीएसआर कोष से किया जा सकता है। यह योजना कंपनियों के लिए स्वैच्छिक होगी।