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Intl. Women’s Day: प्राइवेट के मुकाबले सार्वजनिक कंपनियों में महिला डायरेक्टर कम, 80 फीसदी समितियों पर पुरुषों का कब्जा

बोर्डरूम में महिलाओं की भागीदारी 30 फीसदी करने के लिए 500 कंपनियों में 550 अतिरिक्त महिला निदेशकों को नियुक्त करना होगा।

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ऐश्ली वर्गीज   
Last Updated- March 08, 2024 | 7:00 AM IST

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निदेशक मंडल (बोर्ड) में महिलाओं की भागीदारी पिछले साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से अब तक की अवधि में थोड़ी कम हुई है। प्राइमइन्फोबेस डॉट कॉम के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 6 मार्च को निफ्टी 500 में शामिल कंपनियों में निजी क्षेत्र की कंपनियों के कुल निदेशकों में महिलाओं की हिस्सेदारी 19 फीसदी है और सार्वजनिक क्षेत्र के मामले में उनकी हिस्सेदारी 14.3 फीसदी है।

हालांकि बीते वर्षों में उनकी भागीदारी और भी कम रही थी और निजी-सार्वजनिक क्षेत्र में महिला निदेशकों का अंतर 4.72 फीसदी था, जो 2023 में 3.85 फीसदी रहा। ताजा आंकड़ों की तुलना में पहले बोर्ड की अहम समितियों की प्रमुख के तौर पर भी महिलाओं की भागीदारी काफी कम थी।

हाल के समय में अतिरिक्त 40 निजी क्षेत्र की कंपनियों के निदेशक पद पर महिलाएं नियुक्त हुई हैं जिससे 2024 के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इनकी संख्या मार्च 2023 के 759 से बढ़कर 799 हो गई है। इससे कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी 18.56 फीसदी से बढ़कर 19.01 फीसदी हो गई।

दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बोर्ड में महिला निदेशकों की संख्या इस दौरान 85 से घटकर 84 रह गई। सार्वजनिक क्षेत्र में कुल निदेशकों में महिलाओं की भागीदारी भी 14.7 फीसदी से घटकर 14.3 फीसदी रह गई।

अधिकांश बोर्ड समितियों में भी महिलाओं की भागीदारी काफी कम है। बोर्ड की समितियों में पुरुषों का वर्चस्व है और 10 में से 8 समितियों में पुरुष काबिज हैं। जोखिम प्रबंधन में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद कम करीब 14 फीसदी है। हालांकि नॉमिनेशन और पारितोषिक समितियों में महिलाओं की भागीदारी 20 फीसदी से ज्यादा है।

प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज द्वारा नीदरलैंड की एपीजी ऐसेट मैनेजमेंट एशिया के साथ नवंबर 2022 में ‘कॉरपोरेट इंडिया वूमन ऑन बोर्ड्स’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार 2024 में कंपनियों के निदेशक पद में बड़ी संख्या में बदलाव होना है। ऐसे में बोर्ड रूम में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम से कम 30 फीसदी करने का अवसर हो सकता है। इसमें कहा गया है कि 30 फीसदी लक्ष्य हासिल करने में साल 2058 तक का समय लग सकता है।

प्राइमइन्फोबेस डॉट कॉम डेटा की गणना के आधार पर मौजूदा आंकड़ों के आधार पर बोर्डरूम में महिलाओं की भागीदारी 30 फीसदी करने के लिए 500 कंपनियों में 550 अतिरिक्त महिला निदेशकों को नियुक्त करना होगा।

इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा, ‘2014 से प्रभावी कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनी के बोर्ड में 10 वर्षों तक स्वतंत्र निदेशकों को रखना अनिवार्य किया गया है। 10 साल की यह अवधि 2024 में खत्म हो रही है और कंपनियों को इस साल बोर्ड में नए सिरे से नियुक्तियां करनी होंगी। ऐसे में बोर्डरूम में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व देखना महत्त्वपूर्ण है मगर कार्यबल में उनकी भागीदारी भी अहम है। इससे महिला-पुरुष की भागीदारी को न केवल बोर्ड स्तर पर बल्कि अर्थव्यवस्था में भी समझने में मदद मिलेगी।’

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2024 तक काम करने की उम्र वाली केवल 11.1 फीसदी भारतीय महिलाओं को ही रोजगार मिला हुआ है या वे नौकरी की तलाश कर रही हैं। श्रमबल में पुरुषों के मामले में यह भागीदारी 68.1 फीसदी है।

प्राइम डेटाबेस समूह के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘हालांकि निदेशक पद के मामले में कम या अधिक तुलनात्मक शब्द हैं। बोर्डरूम में 20 फीसदी महिला भागीदारी अभी कम लगती है जबकि 10 साल पहले यह आंकड़ा 3 फीसदी से भी कम था। हमने इस दिशा में काफी प्रगति की है मगर यह काफी हद तक 2014 के विनियमन से प्रेरित है। जहां तक महिला-पुरुष भागीदारी का सवाल है, अभी लंबा सफर तय करना है क्योंकि अंतिम लक्ष्य एकसमान प्रतिनिधित्व देना है। भारत की तुलना में कई अन्य देशों में महिलाओं की भागीदारी काफी ज्यादा है।’

First Published : March 8, 2024 | 6:55 AM IST