गुजरात सरकार को 10 जनवरी से शुरू होने वाले वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन में रिकॉर्ड संख्या में निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। वहीं अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार विनिर्माता कंपनी टेस्ला के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी ईलॉन मस्क के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पर अधिकारियों ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।
वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद इस साल फिर से द्विवार्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस साल शिखर सम्मेलन का विषय ‘गेटवे टू द फ्यूचर’ (भविष्य का प्रवेश द्वार) है। इसमें भविष्य की प्रौद्योगिकियों और हरित हाइड्रोजन, समेकंडक्टर तथा अंतरिक्ष-संबंधित विनिर्माण जैसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में 10 से 12 जनवरी को आयोजित होने वाले इस शिखर सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
गुजरात औद्योगिक विकास निगम के वाइस-चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक राहुल गुप्ता ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन की तुलना में इस संस्करण में राज्य में सबसे अधिक निवेश आएगा।’
उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन के 2019 संस्करण में रिकॉर्ड 28,360 परियोजनाओं तथा एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए। 2017 में यह आंकड़ा 24,744 और 2015 में 21,304 था। मस्क के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के सवाल पर गुप्ता ने कहा कि इसको लेकर कोई पुष्टि नहीं हुई है।
ऐसी अटकलें हैं कि मस्क राज्य में एक विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए निवेश की घोषणा करने के लिए शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। टेस्ला के अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से संपर्क करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मेरी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं है।’
हालांकि, उन्होंने कहा कि गुजरात इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और इसके बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए सबसे पसंदीदा स्थान बना हुआ है।
गुप्ता ने पिछले साल अक्टूबर तथा नवंबर में ‘वाइब्रेंट गुजरात वाइब्रेंट डिस्ट्रिक्ट्स’ के तहत आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि राज्य ने पहले ही 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की निवेश प्रतिबद्धताओं के साथ 2,600 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से अधिकतर निवेश प्रस्ताव सिरेमिक, कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के लिए हैं।
उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन के इस वर्ष के संस्करण के लिए अभी तक एक लाख से अधिक प्रतिनिधियों ने पंजीकरण कराया है और 32 देशों के इसमे हिस्सा लेने की पुष्टि हो चुकी है। 2019 में 15 देशों ने इसमें हिस्सा लिया था।