राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (NMC) के हालिया नियमन को लेकर फार्मा उद्योग के प्रतिनिधियों और चिकित्सकों ने आज दिल्ली में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने दवाओं के जनेरिक नाम के साथ-साथ दवाओं के ब्रांड लिखने की अनुमति देने की मांग की। घटनाक्रम से वाकिफ सूत्र ने इसकी जानकारी दी।
सरकारी अधिकारियों के साथ करीब दो घंटे तक चली बैठक में चिकित्सकों के शीर्ष निकाय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रतिनिधियों, फार्मा लॉबी समूह इंडियन फार्मा अलायंस के सदस्यों ने राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (NMC) द्वारा जारी नए नियमन पर चर्चा की। एनएमसी ने चिकित्सकों के लिए केवल जनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य कर दिया है। आईएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैठक सार्थक रही और सरकार ने सुझावों पर ध्यान दिया है।
P। ऐसा नहीं होने से उपचार चिकित्सकों के हाथों से निकलकर दवा विक्रेताओं के पास चला जाएगा। हालांकि अभी यह देखना होगा कि उद्योग की प्रतिक्रिया के बाद एनएमसी अपने दिशानिर्देश में संशोधन करता है या नहीं।
दिलचस्प है कि दवा विक्रेता संघ भी इस निर्णय से खुश नहीं है। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स ऐंड ड्रगिस्ट्स के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि जनेरिक दवाओं के मामले में सरकार के हालिया निर्णय से भविष्य में बड़ी कंपनियों का एकाधिकार हो सकता है। दवाओं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है।