खनन मंत्रालय महत्त्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों की नीलामी में बोली प्रीमियम को सीमित करने के किसी भी प्रस्ताव पर काम नहीं कर रहा है, जिसमें पिछले कुछ दौर में रिकॉर्ड-उच्च बोलियां देखी गई हैं। कंपनियों की आक्रामक पेशकश के कारण बोली की व्यावसायिक व्यवहारिकता पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘खनन मंत्रालय महत्त्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों के लिए बोली प्रीमियम को सीमित करने के किसी भी प्रस्ताव पर काम नहीं कर रहा है।’ इससे संकेत मिलते हैं कि केंद्र सरकार इस नए और रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में खुली प्रतिस्पर्धा बनाए रखना चाहता है। मंत्रालय ने इस सिसलिसे में भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं दिया। महत्त्वपूर्ण खनिज नीलामियों में बोली प्रीमियम भविष्य के राजस्व का अतिरिक्त प्रतिशत होता है। यह बोली पाने वाले को किसी भी आधार मूल्य के अतिरिक्त सरकार को सहमति के आधार पर देना होता है। बोली लगाने वाला जो अधिकतम प्रतिशत प्रीमियम देने को तैयार होता है, उसे खदान में खनन का कार्य मिल जाता है।
मीडिया में खबरें आईं कि केंद्र सरकार लौह अयस्क खदानों की नीलामी में प्रीमियम के बाद 50 प्रतिशत की सीमात तय करने पर विचार कर रहा है। बहरहाल महत्त्वपूर्ण खनिजों के मामले में सरकार खुले बाजार का दृष्टिकोण बनाए रखने को इच्छुक दिख रही है।
अब तक 5 दौर की नीलामी 34 महत्त्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों में से 15 के लिए 50 प्रतिशत से अधिक बोली प्रीमियम हासिल हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुछ मामलों में यह 752 प्रतिशत, 400 प्रतिशत और 320 प्रतिशत तक पहुंच गया हैं। इनमें से 11 ग्रेफाइट ब्लॉक हैं। अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ग्रेफाइट को छोड़कर अन्य खनिजों के लिए बोलियां अब तक मध्यम स्तर पर बनी हुई हैं। यह एक उभरता क्षेत्र है, ऐसे में प्रतिस्पर्धा तेज होने की उम्मीद है, क्योंकि कंपनियां इन संसाधनों की वाणिज्यिक क्षमता का दोहन करना चाहेंगी।’ आक्रामक बोलियों से स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, इलेक्ट्रिक वाहनों और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए प्रमुख इनपुट, लीथियम, ग्रेफाइट और निकल जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों तक दीर्घकालिक पहुंच हासिल करने में कंपनियों की बढ़ती रुचि का पता चलता है। डेक्कन गोल्ड माइंस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एचपी मोदाली ने कहा कि छत्तीसगढ़ के भालुकोना जामनीडीह ब्लॉक में निकल और तांबे को हासिल करने के लिए कंपनी ने बोली बढ़ाई थी।