राजनीतिक संकट गहराने से बांग्लादेश के निर्यात में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले कपड़ा क्षेत्र पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय खरीदार भारत जैसे वैकल्पिक बाजार पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पड़ोसी देश के लगभग 10-11 प्रतिशत निर्यात, तिरुपुर जैसे भारतीय केंद्रों में स्थानांतरित होते हैं तब भारत को हर महीने 30-40 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त कारोबार मिलने की उम्मीद है।
बांग्लादेश का मासिक परिधान निर्यात 3.5 से 3.8 अरब डॉलर के बीच है और इसकी यूरोपीय संघ (ईयू) और ब्रिटेन के बाजारों में हिस्सेदारी दो अंकों में है, साथ ही अमेरिका के बाजार में 10 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।
दूसरी ओर, भारत हर महीने लगभग 1.3 से 1.5 अरब डॉलर का निर्यात कर रहा है। उद्योग संस्था इंडियन टेक्सप्रेन्योर फेडरेशन के सचिव प्रभु दामोदरन ने कहा, ‘शुरुआती प्रतिक्रिया के तौर पर खरीदार कुछ ऑर्डर भारत और अन्य देशों में स्थानांतरित कर सकते हैं। भारत का हर महीने परिधान निर्यात 1.3 से 1.5 अरब डॉलर के बीच है और हम 30 से 40 करोड़ डॉलर के अतिरिक्त ऑर्डर को संभालने की क्षमता रखते हैं।’
यह संकट ऐसे समय खड़ा हुआ है जब बांग्लादेश से उम्मीद की जा रही थी कि यह 2024 में वार्षिक निर्यात में 50 अरब डॉलर का आंकड़ा पार करेगा, जो आंकड़ा 2023 में लगभग 47 अरब डॉलर था।
इसके अलावा, बांग्लादेश में भारतीयों के स्वामित्व वाली फैक्टरियां भी भारत स्थानांतरित हो सकती हैं। कारोबार नीति विश्लेषक एस चंद्रशेखरन के अनुसार, बांग्लादेश में लगभग 25 प्रतिशत फैक्टरियों का स्वामित्व भारतीयों के पास है, जिनमें शाही एक्सपोर्ट्स, हाउस ऑफ पर्ल फैशन्स, जय जय मिल्स, टीसीएनएस, गोकादास इमेजेज और अंबत्तूर क्लोदिंग जैसी कंपनियां शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह अफरा-तफरी वाली स्थिति है और माल की आवाजाही अटकी हुई है। आने वाले क्रिसमस सीजन के लिए आपूर्ति श्रृंखला में बाधा दिख रही है। इसमें भारत का फायदा है, क्योंकि ऑर्डर अब इधर मिलने लगेंगे।’
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के.एम. सुब्रमण्यन ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि ऑर्डर तिरुपुर में मिलने शुरू हो सकते हैं और उस देश में मौजूदा संकट के कारण पिछले साल की तुलना में चालू वित्त वर्ष में कम से कम 10 प्रतिशत अधिक ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।’ सोमवार 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विरोध प्रदर्शन के दबाव में इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया।