केंद्र सरकार 2030-32 तक घरेलू तापीय कोयले का भंडार 1.8 से 2.5 अरब टन (बीटी) बनाने की योजना बना रही है। कोयला मंत्रालय की आंतरिक योजना के अनुसार इस अवधि के बाद कम से कम एक दशक के लिए कोयले के उत्पादन को यथास्थिति पर रोका जाएगा। वैसे भारत ने कोयले उत्पादन और उसके इस्तेमाल के लिए किसी वैश्विक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
कोयला मंत्रालय के अनुमान के अनुसार तापीय कोयले की मांग 2030 तक 1.5 से 1.8 अरब टन तक होगी। अधिकारियों के अनुसार 0.5 से 1.0 अरब टन के अतिरिक्त भंडार की योजना बनाई गई है ताकि अचानक से मांग बढ़ने पर उसे पूरा किया जा सके।
मंत्रालय इस बात का भी ध्यान रख रहा है कि यदि नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) स्रोत बिजली की मांग को पूरा करने में असमर्थ हों, तो तापीय कोयले की मांग पर क्या असर होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘यदि नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत 2030 के लक्ष्य 500 गीगावॉट को हासिल कर लेते हैं तब भी बुनियादी ऊर्जा स्रोत की जरूरत होगी। पहले अनुमान यह लगाया गया था कि इस दशक के अंत तक अनुमानित बिजली की मांग को पूरा करने के लिए 1.5 बीटी कोयले की जरूरत थी। हालांकि इस साल मांग सभी अनुमानों से परे निकल जाने के कारण अतिरिक्त क्षमता का निर्माण किया जाना चाहिए।’ इस साल सर्वाधिक बिजली की मांग 240 गीगावॉट थी।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय निजी और वाणिज्यिक खानों से 30 फीसदी तक कोयला उत्पादन का अनुमान लगा रहा है। इस साल मंत्रालय ने नवंबर में सार्वजनिक वक्तव्य में कहा था कि वह 2027 तक 1.4 बीटी और 2030 तक 1.5 बीटी कोयले का भंडार बनाने की योजना बना रहा है।
हालांकि अधिकारियों ने बताया कि 2030 से 2040 तक ‘तुरंत उपलब्ध कोयला भंडार’ की योजना तैयार की गई है। इस योजना में बदलाव किया गया है। इसका कारण यह है कि विभिन्न राज्य बिजली की अप्रत्याशित मांग बढ़ने के कारण तापीय बिजली की नई इकाइयां लगाने या मौजूदा इकाइयों का विस्तार करने जा रहे हैं।
इस पेपर के मुताबिक करीब छह राज्य 15 गीगावॉट की नई तापीय इकाइयां बनाने की योजना बना रहे हैं। इस योजना के बारे में केंद्रीय कोयला मंत्रालय के प्रवक्ता को ईमेल कर जानकारी मांगी गई थी लेकिन जवाब नहीं मिला।
इस दशक के अंत तक अतिरिक्त क्षमता का निर्माण हो जाएगा। लिहाजा मंत्रालय को उम्मीद है कि इसके बाद कोयला उत्पादन में ठहराव लाना पड़ सकता है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कोयले की आपूर्ति 2040 तक पर्याप्त होगी।
अनुमान है कि तापीय क्षमता से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा होग। यदि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) उत्पाद को नहीं भी बढ़ाता हो तो भी स्वच्छ ऊर्जा के भंडारण के तरीकों से मदद मिलेगी।’
केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हाल में कहा था कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक भारत का कोयला उत्पादन 1 बीटी तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि ज्यादातर कोयले की आपूर्ति राष्ट्रीय खनक सीआईएल से होने की उम्मीद है। वैसे मंत्रालय को उम्मीद है कि निजी व वाणिज्यिक खानों से भी पर्याप्त योगदान मिलेगा।