वाहनों के प्रमुख पुर्जों पर हाल में लगाए गए भारी-भरकम अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय वाहन पुर्जा निर्यातकों को कमाई में 2,700 करोड़ रुपये से लेकर 4,500 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्रेडिट एजेंसी इक्रा ने आज एक नोट में यह जानकारी दी।
हालांकि राजस्व का बड़ा हिस्सा घरेलू मांग से आता है। लेकिन इंजन, ट्रांसमिशन और इलेक्ट्रिकल पुर्जों जैसे सामान पर 25 प्रतिशत के नए टैरिफ से वित्त वर्ष 26 में वाहन पुर्जा उद्योग की समूची राजस्व वृद्धि नरम होकर छह से आठ प्रतिशत तक रह जाने की संभावना है,जबकि पहले इसके आठ से 10 प्रतिशत रहने का अनुमान था।
वित्त वर्ष 24 में भारतीय वाहन पुर्जा उद्योग के राजस्व में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 8 प्रतिशत थी। उसने हाल में 3 मई, 2025 से लागू होने वाला 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है। अनुमान है कि भारत के वाहन पुर्जो की निर्यात बास्केट का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा इस टैरिफ व्यवस्था के तहत आएगा। वाहन पुर्जो में स्टील और एल्युमीनियम हिस्से पर 25 प्रतिशत टैरिफ मार्च 2025 में पहले ही लागू किया जा चुका है।
इक्रा का अनुमान है कि अगर भारतीय निर्यातकों को अतिरिक्त लागत का 30 से 50 प्रतिशत बोझ उठाने पर विवश होना पड़ता है तो परिचालन लाभ पर10 से प्रतिशत प्रतिशत का झटका लग सकता है, जबकि समूचे वाहन पुर्जा उद्योग के परिचालन लाभ पर तीन से छह प्रतिशत का असर पड़ सकता है। नतीजतन वित्त वर्ष 26 में निर्यातकों के मामले में परिचालन मार्जिन 150 से 250 आधार अंक (बीपीएस) तक कम हो सकता है और समूचे उद्योग के मामले में 50 से 100 आधार अंक।
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कॉरपोरेट रेटिंग्स के प्रमुख शमशेर दीवान ने कहा, ‘इक्रा ने जिन वाहन पुर्जा निर्यातकों के साथ बातचीत की है, उनका कहना है कि अधिकांश वृद्धिशील लागत को आगे हस्तांतरित कर दिया जाएगा। इस हस्तांतरण की सीमा आपूर्तिकर्ता के महत्त्व, कारोबार की हिस्सेदारी, प्रतिस्पर्धा और आपूर्ति किए गए पुर्जो की प्रौद्योगिकी संबंधी क्षमता जैसे कारकों पर निर्भर करेगी।’