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IBBI की विशेषज्ञ समिति ने की IBC के तहत वैकल्पिक मध्यस्थता की सिफारिश

Insolvency resolution updates: यह ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) में खाके के रूप में अच्छा काम करेगी।

Last Updated- February 15, 2024 | 10:05 PM IST
A performance appraisal of IBC

भारतीय ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) की विशेषज्ञ समिति ने वैकल्पिक मध्यस्थता प्रक्रिया की सिफारिश की है। यह ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) में खाके के रूप में अच्छा काम करेगी।

समिति ने संहिता के अंतर्गत विवाद समाधान के तंत्र में मध्यस्थता को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का प्रस्ताव किया है। हालांकि इसमें हालिया विभिन्न दिवाला प्रक्रियाओं के लिए समयसीमा तय की गई है जिससे इससे लागू करने के तरीके में शामिल किया जा सके।

हालांकि सिफारिशों का प्रथम चरण वैकल्पिक है। समिति ने कहा कि लागू करने के दूसरे चरण में वित्तीय ऋणदाताओं के साथ एक पक्ष के रूप में मध्यस्थता की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

कानूनी मामलों के पूर्व सचिव टीके विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली समिति ने भारतीय ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता, 2016 से आईबीबीआई के अंतर्गत मध्यस्थता के इस्तेमाल के प्रारूप की रिपोर्ट गुरुवार को पेश की थी। आईबीबीआई ने कहा, ‘इस प्रारूप की मुख्य बात कार्यात्मक रूप से सिखने के लिए स्वतंत्रता और लचीलापन है।’

मध्यस्थता में दो या दो से अधिक पक्षों के बीच झगड़े और विवाद को हल करने के लिए तीसरे तटस्थ पक्ष को बातचीत कर समाधान मुहैया कराना है।

विशेषज्ञ समिति ने कहा, ‘2023 के अधिनियम में ऐसी मध्यस्थता प्रक्रिया की परिकल्पना की गई है जो सभी के लिए एक मानक तरीका (वन-साइज-फिट्स-ऑल) हो। हालांकि यह संहिता के अंतर्गत दिवाला शोधन प्रक्रिया के लिए अनुकूल नहीं हो सकती है।

इस समिति ने इस संहिता में मध्यस्थता को वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में पेश करने का सुझाव दिया है और यह सुझाव वैधानिक समयसीमा व प्रक्रियाओं के तहत दिया गया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और आईबीबीई को इस सिलसिले में कानून, विनियमन और अधिसूचना जारी करने के लिए अपनी शक्ति प्रदत्त करनी चाहिए।

First Published - February 15, 2024 | 10:05 PM IST

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