GST काउंसिल अपनी अगली मीटिंग में बिज़नेस के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी तरह के ड्रोन पर समान रूप से 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, यह कदम ड्रोन के अलग-अलग वर्गीकरण को लेकर हो रहे भ्रम को दूर करने और उद्योग को स्पष्टता देने के लिए उठाया जा रहा है।
मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म Tracxn के मुताबिक, यह फैसला भारत के तेजी से बढ़ते ड्रोन उद्योग के लिए बड़ी राहत बन सकता है। फिलहाल देश में लगभग 488 ड्रोन कंपनियां काम कर रही हैं, जिन्होंने अब तक करीब 518 मिलियन डॉलर का निवेश हासिल किया है।
इस समय, ड्रोन पर जीएसटी दर उनके वर्गीकरण के हिसाब से अलग-अलग है। बिज़नेस के लिए उपयोग होने वाले ड्रोन अगर HSN कोड 8806 के तहत ‘एयरक्राफ्ट’ के रूप में आते हैं तो उन पर 5% जीएसटी लगता है। वहीं, अगर ड्रोन में कैमरा जुड़ा हो और उसे HSN 8525 के तहत ‘डिजिटल कैमरा’ माना जाए, तो उस पर 18% जीएसटी लगती है। इसके अलावा, व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए खरीदे गए ड्रोन पर HSN 8806 के तहत 28% तक जीएसटी लगती है।
सरकार ने हाल के समय में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। कृषि, लॉजिस्टिक्स, पब्लिक सेफ्टी और कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों में ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, ‘ग्रीन ज़ोन’ में 400 फीट तक की ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाने के लिए अब अनुमति की जरूरत नहीं है। इसके अलावा, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 2023 में ड्रोन नियमों में संशोधन कर ‘येलो ज़ोन’ की परिभाषा को सरल किया और माइक्रो व नैनो ड्रोन के नॉन-कमर्शियल इस्तेमाल के लिए भी छूट दी।
सरकार ने ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना भी शुरू की है, जिसका मकसद महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को कृषि सेवाओं के लिए ड्रोन इस्तेमाल करने में सक्षम बनाना है। अब जीएसटी दरों में संभावित बदलाव से ड्रोन कंपनियों के लिए टैक्स को लेकर चल रहे विवाद भी कम हो सकते हैं।