सरकार इस विचार से सहमत है कि चीन की ज्यादा से ज्यादा कंपनियां भारत में खास तौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम बनाकर अपना परिचालन शुरू करें। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में तकरीबन 60 फीसदी विनिर्माण क्षमता चीन में है और हम उस क्षेत्र में अपना विनिर्माण बढ़ाना चाहते हैं। इसलिए हम चीन के साथ काम करने से परहेज नहीं कर सकते। हमें यह रणनीति बनानी होगी कि हम क्या और कैसे करें लेकिन यह करना ही होगा।’
उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय और चीनी कंपनियों के संयुक्त उपक्रम के प्रस्तावों की समीक्षा के लिए सर्वोत्तम दृष्टिकोण निर्धारित करने के लिए विभिन्न मॉडलों को परख भी रही है। इसी क्रम में घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण दिग्गज डिक्सन टेक्नाॅलजीज को चीन की कंपनी लॉन्गचीयर के साथ संयुक्त उपक्रम बनाने के प्रस्ताव को आज इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मंजूरी मिल गई। लॉन्गचीयर की सिंगापुर की सहायक कंपनी के साथ गठित होने वाली इस साझेदारी में डिक्सन की बहुलांश 76 फीसदी हिस्सेदारी होगी और चीन की कंपनी का हिस्सा 24 फीसदी होगा।
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संयुक्त उपक्रम का नाम डिक्सटेल इन्फोकॉम होगा। दोनों कंपनियों के बीच समझौतों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद भारत में स्मार्टफोन, टैबलेट, ट्रू वायरलेस स्टीरियो डिवाइस, स्मार्टवॉच, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पर्सनल कंप्यूटर, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स और हेल्थकेयर डिवाइस का विनिर्माण और आपूर्ति शुरू की जाएगी। अधिकारी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में चीनी कंपनियों के लिए लचीला रुख अपनाए जाने की संभावना के साथ ही चीन की सरकार के साथ दुर्लभ खनिज मैग्नेट सहित महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की जा रही है।
अधिकारी ने कहा कि जिन उद्योगों को दुर्लभ खनिज मैग्नेट की आवश्यकता है, उनसे संबंधित मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को अपनी राय और निष्कर्ष बता दिए हैं। विदेश मंत्रालय ने इन मुद्दों को चीन के विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार इन मुद्दों पर तीन तरह से विचार कर रही है। एक विकल्प यह है कि फिलहाल उन पुर्जों का पूरी तरह से आयात किया जाए जिनमें इस तरह के दुर्लभ खनिज मैग्नेट के उपयोग होते हैं क्योंकि पाबंदी थोड़े समय की बात है।
दूसरा विकल्प अन्य देशों से आपूर्ति श्रृंखला तलाश करना और थोड़े समय के लिए वहां से आयात करना या वैकल्पिक तकनीकों का पता लगाना जिससे फिलहाल दुर्लभ खनिज मैग्नेट की आवश्यकता न हो। अधिकारी ने कहा कि तीसरे विकल्प के तौर पर सरकार दुर्लभ खनिज मैग्नेट और अन्य महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला बहाल करने के बारे में चीन की सरकार से बात करने पर भी विचार कर रही है।